नई दिल्ली: भारत के 2047 के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार को अपनी नीतियों में बड़े बदलाव करने की जरूरत है। मौजूदा नीतिगत विफलताएं देश में लोकतंत्र के कार्य करने के तरीकों से जुड़ी विकृत प्रोत्साहनों के कारण होती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन विकृतियों को कम किया जा सकता है यदि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का अधिक सावधानीपूर्वक विकेंद्रीकरण किया जाए।
विधान व्यवस्था में विकेंद्रीकरण से न केवल सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय जरूरतों के अनुसार बेहतर नीति निर्माण भी संभव होगा। इससे नीतिगत गलतियों में कमी आएगी और सरकार के लक्ष्यों की प्राप्ति आसान होगी।
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि 2047 तक भारत को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाए रखने के लिए सरकार को पुनर्गठन पर विशेष ध्यान देना होगा। यह प्रक्रिया देश के विकास की दिशा तय करने में मदद करेगी।
सरकार द्वारा किए जाने वाले संभावित सुधार
- विकेंद्रीकरण: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जिम्मेदारियों का स्पष्ट विभाजन।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाना।
- नीति निर्माण में स्थानीय भागीदारी: स्थानीय जरूरतों और विशिष्टताओं का ध्यान रखना।
- आर्थिक और तकनीकी पुनर्गठन: वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए नीतियों का अद्यतन।
आने वाले समय में इन सुधारों को लागू करके भारत 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।
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