सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक नया मापदंड स्थापित किया है, जो देश में सतत विकास और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 20 अप्रैल 2024 को दिल्ली में आयोजित इस फैसले ने सरकारी नीतियों और उद्योग गतिविधियों पर दूरगामी प्रभाव डाला है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण नियंत्रण, जल संरक्षण और हरित क्षेत्र के संरक्षण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्यों को पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने और नागरिकों के स्वास्थ्य के अधिकारों का सम्मान करने का आदेश दिया गया है। इससे पहले भी कोर्ट ने पर्यावरण से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई की थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की जवाबदेही पर विशेष बल दिया गया।
कौन-कौन जुड़े?
- भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- विभिन्न राज्य सरकारें
- वरिष्ठ न्यायाधीश
- सामाजिक संगठन एवं पर्यावरण विशेषज्ञ (याचिकाकर्ता के रूप में)
मंत्रालय से सभी प्रासंगिक सरकारी आदेश, रिपोर्ट और आंकड़े मांगे गए तथा उनका विश्लेषण किया गया।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बताया कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक वायु गुणवत्ता मानकों में सुधार हेतु बजट में 15% वृद्धि की गई है, जिसके तहत स्वच्छ पर्यावरण हेतु लगभग ₹1,200 करोड़ खर्च किए गए हैं। नियंत्रण प्रौद्योगिकियों के अनुपालन में वृद्धि हुई है। अदालत ने राज्यों को अगले छह महीने के भीतर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
पुष्टि-शुदा आंकड़े
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की मात्रा में औसतन 8% कमी आई है।
- जल संरक्षण परियोजनाओं के अंतर्गत 12 राज्यों में भूजल स्तर में 30% तक सुधार हुआ है।
हालांकि प्रदूषण स्तर अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से ऊपर हैं, इसलिए सुधार आवश्यक है।
तत्काल प्रभाव
इस फैसले से सरकारी योजनाओं में तेजी आई है। कई राज्य सरकारें प्रदूषण नियंत्रण के लिए विशेष टीमों का गठन कर रही हैं तथा उद्योगों पर कड़ी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। यह निर्णय नागरिकों के स्वच्छ वातावरण की मांग को मजबूती देगा। आर्थिक दृष्टि से, प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों में निवेश बढ़ने की संभावना है और हरे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने निर्णय का स्वागत करते हुए पर्यावरण सुरक्षा में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
- विपक्षी पार्टियों ने इसे सकारात्मक कदम बताया, पर राज्य स्तर पर क्रियान्वयन पर जोर दिया।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे सतत विकास के एजेंडे को बढ़ावा देने वाला कदम माना।
- उद्योग संगठनों ने सभी पर्यावरण नियमों का पालन करने का आश्वासन दिया।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के भीतर सभी राज्यों से पर्यावरण संरक्षण की प्रगति रिपोर्ट मांगी है, जिसके बाद समीक्षा की जाएगी। मंत्रालय पर्यावरण सुधार परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा, सेंसर नेटवर्क के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण की निगरानी तेज करने का प्रस्ताव भी है। इस फैसले के लागू होने से भारत का पर्यावरण सुरक्षा ढांचा और भी मजबूत होगा।
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