भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 15 जून 2024 को डेटा संरक्षण अधिनियम से संबंधित दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। यह मामला निजी एवं सार्वजनिक संस्थानों में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा से जुड़ा था, जो आगामी डिजिटल भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
घटना क्या है?
डेटा संरक्षण विधेयक 2023 केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया एक कानूनी प्रारूप है, जिसका उद्देश्य व्यक्तियों के निजी डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। दिल्ली सरकार ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें राज्यों को अधिनियम लागू करने में अधिक अधिकार और संरक्षण दिए जाने की मांग की गई थी।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्र सरकार
- दिल्ली सरकार
- विभिन्न टेक्नोलॉजी कंपनियां
- सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ
- केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission)
- डेटा सुरक्षा विशेषज्ञ
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राष्ट्रीय डेटा संरक्षण नीति और विधेयक का उद्देश्य देश के नागरिकों के डेटा की सुरक्षा को सर्वोपरि रखना है। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह विधेयक केंद्र द्वारा सभी राज्यों के लिए समान रूप से लागू होगा और राज्यों को इसे संशोधित करने का अधिकार नहीं है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बताया कि इस विधेयक के तहत डेटा उल्लंघन पर 15% तक का जुर्माना लगाया जाएगा और इसका पालन सख्ती से किया जाएगा।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- देश में पिछले एक वर्ष में डेटा उल्लंघन के मामले 18% बढ़े हैं।
- 2023 में 20 करोड़ से अधिक भारतीयों के डेटा का दुरुपयोग हुआ।
- डेटा सुरक्षा अधिकारियों की तैनाती एवं निगरानी के लिए 350 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
तात्कालिक प्रभाव
इस निर्णय से तकनीकी कंपनियों तथा नागरिकों को स्पष्ट दिशा मिली है कि डेटा सुरक्षा के मानक राष्ट्रीय स्तर पर सख्ती से लागू किए जाएंगे। इससे सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विश्वास बढ़ा है और नागरिकों को बेहतर कानूनी संरक्षण मिलेगा।
हालांकि, कुछ राज्यों ने इस निर्णय की आलोचना की है क्योंकि वे अधिक नियंत्रण चाहते थे।
प्रतिक्रियाएँ
- केंद्र सरकार: निर्णय का स्वागत, इसे डिजिटल सुरक्षा में एक मजबूत कदम मानती है।
- दिल्ली सरकार: सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करेगी पर केंद्र से समन्वय जारी रखेगी।
- विपक्षी दल: राज्यों की भागीदारी की आवश्यकता पर बल।
- उद्योग विशेषज्ञ: निर्णय से नियामक अनुपालन में आसानी होगी।
- आम जनता: मिश्रित प्रतिक्रिया।
आगे क्या?
- केंद्र सरकार जुलाई 2024 तक राज्य-स्तर पर डेटा सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति पूरी करेगी।
- विधेयक पर जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
- भविष्य में विधेयक की समीक्षा एवं संशोधन के लिए संसद में प्रस्ताव लाया जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट पुनः सुनवाई कर सकता है यदि भविष्य में व्याख्या पर विवाद हो।
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