नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जो उच्च न्यायालयों के जजों के चयन में अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति को ध्यान में रखने वाली कॉलेजियम प्रणाली की प्रथा को चुनौती देती है। यह याचिका इस चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाती है, जिसमें तर्क दिया गया है कि इस प्रथा के कारण अन्य योग्य उम्मीदवारों के लिए अवसर सीमित हो रहे हैं और इसकी संवैधानिकता पर प्रश्न उठता है।
याचिका दायर करने वाले पक्षकारों का कहना है कि न्यायालयों में चयन समानता और योग्यता के आधार पर होना चाहिए, न कि समुदाय के आधार पर आरक्षण देकर। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रथा न्यायपालिका की निष्पक्षता और सार्वभौमिक समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द ही सुनवाई करेगा और संभवतः इस विषय पर महत्वपूर्ण आदेश जारी करेगा। यह आदेश न्यायिक चयन प्रक्रिया के भविष्य को प्रभावित कर सकता है और न्यायपालिका में आरक्षण नीति व चयन प्रक्रिया पर व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- जनहित याचिका (PIL) में कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल
- अल्पसंख्यक आरक्षण के कारण योग्यता के आधार पर चयन सीमित
- न्यायपालिका में समानता और निष्पक्षता पर प्रभाव
- सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की संभावना
- संपूर्ण न्यायिक चयन प्रक्रिया पर बहस का उदय
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