भारत सरकार ने 12 सितंबर 2025 को नई डेटा संरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश की, जिसका उद्देश्य देश में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को मजबूत बनाना है। यह विधेयक डिजिटल युग में नागरिकों के निजता अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
घटना क्या है?
12 सितंबर 2025 को केंद्र सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र में डेटा संरक्षण विधेयक 2025 लोकसभा में प्रस्तुत किया। इस विधेयक में नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण, उसके संग्रहण की शर्तों, और दंडात्मक प्रावधानों का विस्तार किया गया है। यह डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन सूचनाओं के दौरान डेटा की सुरक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए है।
कौन-कौन जुड़े?
- सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
- केंद्र सरकार
- संसद के दोनों सदन
- तकनीकी विशेषज्ञ
- विपक्षी दल
- उद्योगमंडल एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म
- सामान्य नागरिक
इन सभी ने विधेयक के निर्माण और चर्चा में भूमिका निभाई है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विधेयक के साथ विस्तृत नोट प्रस्तुत किया है, जिसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
- डाटा संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति
- डेटा उपयोग की पारदर्शिता
- डेटा उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई
सरकार ने इस विधेयक को डिजिटल भारत योजना के तहत एक महत्वपूर्ण सुधार बताया है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत में प्रतिदिन लगभग 80 करोड़ से अधिक ऑनलाइन लेन-देन होते हैं।
- डेटा घोटालों में पिछले तीन वर्षों में 20% की वृद्धि देखी गई।
- विधेयक के क्रियान्वयन के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान है।
तत्काल प्रभाव
विधेयक पारित होने पर, सभी डिजिटल कंपनियों के लिए नागरिकों के डेटा सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होगा। इससे ऑनलाइन धोखाधड़ी और डेटा चोरी पर नियंत्रण मिलेगा तथा उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा। व्यापारिक संगठनों को भी अपनी नीतियां नए नियमों के अनुसार संशोधित करनी होंगी।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने विधेयक को डिजिटल स्वतंत्रता का संवर्द्धन बताया है। विपक्षी दलों ने डाटा की संप्रभुता और निगरानी संबंधी चिंता जताई है। तकनीकी विशेषज्ञ इसे डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक कदम मानते हैं, परन्तु कुछ ने कार्यान्वयन को लेकर सवाल उठाए हैं। उद्योग संगठनों ने तकनीकी मानकों को पूरा करने के लिए सहयोग का आश्वासन दिया है।
आगे क्या?
विधेयक अब राज्यसभा में विचाराधीन होगा, जहाँ व्यापक चर्चा के बाद इसे पारित किया जाएगा। सरकार ने अगले छह महीनों में क्रियान्वयन उपकरण विकसित करने एवं डेटा सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाने का लक्ष्य रखा है।
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