सुप्रीम कोर्ट ने देश के जल स्रोतों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है। 12 अप्रैल 2024 को दिल्ली में हुए इस फैसले में, केंद्र और राज्य सरकारों को जल संसाधनों के स्थायी और न्यायसंगत प्रबंधन के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने जल स्रोतों के अतिक्रमण, प्रदूषण और अवैध उपयोग को रोकने हेतु नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन उपायों में नदी, तालाब, झरना और भूजल की सुरक्षा को महत्व दिया गया है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि जल संसाधन न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संरक्षित होने चाहिए।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में मुख्य पक्ष निम्नलिखित थे:
- केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय
- 15 विभिन्न राज्य सरकारें
- सामाजिक संगठन और पर्यावरण कार्यकर्ता जो याचिका दायर की थी
सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने की।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि:
- जल स्रोतों के आसपास की सभी अवैध निर्माण गतिविधियाँ तुरंत बंद हों।
- केंद्र सरकार छह महीनों के अंदर एक समग्र जल संरक्षण नीति बनाए।
- प्रत्येक राज्य सरकार इस नीति के क्रियान्वयन के लिए ठोस कदम उठाए।
- जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की भूमिका को सशक्त किया जाए।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- पिछले पांच वर्षों में भारत में स्नातक जल स्तर में 15% की गिरावट आई है।
- लगभग 40% जल स्रोत प्रदूषित हो चुके हैं।
- नदियों की खराब स्थिति के कारण किसानों और ग्रामीण आबादी को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
तत्काल प्रभाव
- राज्यों में जल संरक्षण योजनाओं को तेजी से लागू किया जाएगा।
- नागरिकों को साफ पानी उपलब्ध कराने में सुधार होगा।
- जल संकट कम होने की उम्मीद है।
- जल संरक्षण उपकरणों की मांग बढ़ने से पर्यावरण-प्रौद्योगिकी क्षेत्र को लाभ मिलेगा।
प्रतिक्रियाएँ
- केंद्र सरकार ने फैसले का स्वागत किया है और इसे राष्ट्रीय हित में बड़ा कदम बताया है।
- विपक्षी दलों ने इसे सकारात्मक पहल माना।
- पर्यावरण विशेषज्ञ इसे प्रभावशाली कदम कहते हैं जो ठोस कार्ययोजना सुनिश्चित करेगा।
- सामाजिक संगठन और नागरिक समुदाय उत्साहित हैं।
आगे क्या?
- छह माह बाद पुनर्विचार सुनवाई होगी और सरकारें अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।
- देशव्यापी जागरूकता अभियान के तहत नागरिकों को पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- जल संरक्षण में तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा।
यह निर्णय भारत में जल संसाधनों के संतुलित और स्थायी उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भविष्य में इस क्षेत्र में और सुधार की उम्मीद है।
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