नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने अपनी वायु शक्ति को बढ़ाने के लिए 114 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की मांग की है। यह लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के एक बड़े रक्षा सौदे का हिस्सा है। इस प्रयास का मकसद पाकिस्तान के साथ वायु शक्ति संतुलन को मजबूत करना है। भारत-पीडीऍफ़ के बीच तनावों को देखते हुए इस सौदे को प्राथमिकता दी जा रही है।
राफेल जेट्स के इस नए बेड़े से भारतीय वायुसेना की हाई-टेक युद्ध क्षमता में बढ़ोतरी होगी। ये जेट्स अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं और अनेक मिसाइलों व हथियारों को ले जा सकते हैं। इससे सीमाओं की सुरक्षा और हवाई अड्डों की सतर्कता में सुधार होगा।
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह बड़ा निवेश रक्षा क्षेत्र में उसकी आत्मनिर्भरता और ताकत को दर्शाता है। राफेल विमानों की संख्या में योजना के अनुसार बढ़ोतरी से क्षेत्रीय असुरक्षा को कम करने में मदद मिलेगी।
यह सौदा इस समय बातचीत के अंतिम चरण में है और शीघ्र ही इसे मंजूरी मिलने की संभावना है। भारतीय वायुसेना इस प्रस्तावित सौदे को जल्द से जल्द कार्यान्वित करने की कोशिश में है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- 114 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की मांग।
- लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का रक्षा सौदा।
- उन्नत तकनीक तथा हथियारों से लैस विमानों का बेड़ा।
- भारत-पाकिस्तान के वायु शक्ति संतुलन को मजबूत करना।
- सौदे की मंजूरी शीघ्र मिलने की संभावना।
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