चेन्नई में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति की मंजूरी को लेकर नया विवाद जन्म ले रहा है, जो भारतीय संघीय संरचना में केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन की संवेदनशीलता को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह मुद्दा खड़ा किया है कि क्या राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपालों को विधायी विधेयकों को मंजूरी देने के लिए निश्चित समय सीमा दी जानी चाहिए या नहीं।
विवाद का केंद्रीय बिंदु
केंद्र का तर्क है कि राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों की मंजूरी में पूर्ण स्वतंत्रता मिलनी चाहिए ताकि वे विधायी प्रक्रिया का गहन और सावधानीपूर्वक अवलोकन कर सकें। वहीं, कई राज्यों का मानना है कि इस स्वतंत्रता के कारण विधायी प्रक्रिया में देरी होती है, जो समयबद्ध शासन और प्रशासन को प्रभावित करता है।
प्रमुख घटनाक्रम
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और राज्यपाल आर. एन. रवि ने अगस्त 2023 में चेन्नई हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का भव्य स्वागत किया था।
- यह स्वागत इस संवेदनशील मुद्दे की गंभीरता और संबंधित पक्षों के बीच जारी मतभेद को दर्शाता है।
संघीय व्यवस्था पर प्रभाव
यह विवाद सीधे तौर पर भारतीय संघीय व्यवस्था में शक्ति के संतुलन और अधिकारों के उचित प्रयोग से जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस बात की दिशा तय करेगा कि भविष्य में विधायी प्रक्रियाएँ किस तरह से संचालित होंगी और राष्ट्रपति तथा राज्यपालों की मंजूरी पर कितनी सीमाएँ लागू होंगी।
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