भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के चलते दोनों देशों ने एक-दूसरे के विमानों के लिए अपने-अपने हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) की बंदी को एक और महीने के लिए बढ़ा दिया है। 23 जून 2025 को दोनों देशों ने पायलट नोटिस यानी NOTAM (Notice to Airmen) जारी करके यह जानकारी दी कि अब यह पाबंदी 24 जुलाई 2025 की सुबह तक लागू रहेगी। इसका मतलब है कि न तो भारतीय विमान पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजर सकेंगे और न ही पाकिस्तानी विमान भारत के हवाई क्षेत्र से।
पाकिस्तान ने यह एयरस्पेस प्रतिबंध सबसे पहले 24 अप्रैल 2025 को लागू किया था। यह पाबंदी भारतीय पंजीकृत और इंडियन एयरलाइंस द्वारा संचालित सभी प्रकार के विमानों—चाहे वो वाणिज्यिक हों या सैन्य—पर लागू थी। मई महीने में इसे बढ़ाकर 24 जून तक कर दिया गया था और अब एक बार फिर इसे तीसरी बार बढ़ा दिया गया है। इसी तरह भारत ने भी लगभग 30 अप्रैल से पाकिस्तान के विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था और अब वह प्रतिबंध भी 24 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
यह प्रतिबंध दोनों देशों की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बन गया है। आंकड़ों के अनुसार, भारतीय विमानों की करीब 800 उड़ानें हर सप्ताह पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर गुजरती थीं, जिनमें से लगभग 640 उड़ानें सिर्फ दिल्ली से थीं। अब ये सभी उड़ानें वैकल्पिक मार्गों का प्रयोग कर रही हैं, जिससे उनकी दूरी, उड़ान का समय, और ईंधन की खपत काफी बढ़ गई है। यूरोप, मध्य एशिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जाने वाली उड़ानों को अब लंबा रास्ता अपनाना पड़ रहा है, जिससे एयरलाइनों पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है।
इस प्रतिबंध के कारण एयर इंडिया जैसी कंपनियों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। एयर इंडिया ने अनुमान लगाया है कि यदि यह बंदी पूरे साल बनी रही तो उन्हें करीब 600 मिलियन डॉलर (लगभग 5,000 करोड़ रुपये) का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। बोइंग 777 जैसे बड़े विमानों को 2 से 4 घंटे अधिक समय उड़ान में लग रहा है, जिससे न सिर्फ ईंधन की खपत बढ़ रही है, बल्कि चालक दल की ड्यूटी टाइमिंग और ऑपरेशन लागत भी बढ़ रही है। अप्रैल महीने में ही भारतीय एयरलाइनों ने करीब 8 अरब रुपये अतिरिक्त खर्च किए हैं।
वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन PIA वैसे भी सीमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन करती है, जिससे इस प्रतिबंध का असर उन पर अपेक्षाकृत कम पड़ा है।
इस तनाव की पृष्ठभूमि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले से जुड़ी है, जिसमें 26 भारतीय नागरिकों और जवानों की जान गई थी। भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों का हाथ बताया था। इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सीमा पार जाकर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक तनाव बढ़ गया, और इसी क्रम में एयरस्पेस बंदी लागू की गई।
अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? फिलहाल कोई संकेत नहीं है कि दोनों देश इस बंदी को हटाने के मूड में हैं। कूटनीतिक बातचीत की कोई ठोस पहल नहीं हो रही है और तनाव की स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसलिए यह मुमकिन है कि यह एयरस्पेस बंदी भविष्य में और आगे बढ़ाई जाए।
भारत और पाकिस्तान के बीच एयरस्पेस को लेकर चल रही यह खींचतान न सिर्फ राजनीतिक रूप से तनावपूर्ण है, बल्कि इसका सीधा असर विमानन उद्योग और आम यात्रियों पर भी पड़ रहा है। जब तक दोनों देश किसी कूटनीतिक समाधान तक नहीं पहुंचते, तब तक यह पाबंदी जारी रह सकती है। पढ़ते रहिये Questiqa Bharat |
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