July 20, 2025

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BJP सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी अनिवार्यता के दो आदेश वापस लिए

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केंद्र सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को अनिवार्य भाषा बनाने के दो आदेश वापस ले लिए हैं। यह कदम व्यापक विरोध और असहमति के बाद उठाया गया, जिसमें कई गैर हिंदी भाषी राज्य और सामाजिक संगठन शामिल थे।

विवाद की शुरुआत

शिक्षा विभाग द्वारा हिंदी को प्राथमिक स्कूलों में अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने के आदेश जारी किए गए थे। इससे तत्काल कई गैर हिंदी भाषी राज्यों में विरोध शुरू हो गया क्योंकि इसे क्षेत्रीय भाषाओं के अधिकारों पर चोट माना गया।

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संलग्न पक्ष

  • भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार
  • केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय
  • विभिन्न राज्य सरकारें
  • भाषाई संगठन
  • छात्र एवं शिक्षाविद

इन सभी ने इस विवाद में अपने-अपने स्तर पर भूमिका निभाई।

आधिकारिक बयान

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि हिंदी अनिवार्यता के आदेशों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जा रहा है। मंत्रालय ने भारत की भाषाई विविधता को सम्मान देने को अपनी प्राथमिकता बताया।

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महत्वपूर्ण आँकड़े

  1. भारत में लगभग 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं।
  2. बहुत से क्षेत्रीय भाषाओं का अध्ययन प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में होता है।
  3. इन आदेशों के तहत आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों के 20 करोड़ छात्र हिंदी अनिवार्यता के दायरे में आने वाले थे।

तत्काल प्रभाव

आदेश वापस लेने से छात्र और अभिभावक खुश हैं क्योंकि इससे हिंदी पढ़ाई पर हो रहे असर में सुधार होगा। राजनीति में भी विवाद शांत हुआ है।

प्रतिक्रियाएँ

  • सरकार ने इसे क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण के लिए सकारात्मक कदम बताया।
  • विपक्ष ने इसे अधिनायकवादी नीति का हिस्सा कहा।
  • भाषा विद्वानों ने अनिवार्यता की जगह विकल्प होना चाहिए यह सुझाव दिया।
  • आम जनता में भाषा की स्वतंत्रता पर चर्चा मुख्य रूप से जारी है।

आगे की दिशा

केंद्र सरकार ने विश्वास जताया है कि भविष्य में शिक्षा नीतियों में राज्यों और भाषाई संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखा जाएगा। इस मुद्दे को संसद के आगामी मॉनसून सत्र में विचाराधीन किया जा सकता है।

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