25 एप्रिल मालेगांव : 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में बड़ा मोड़ आ गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मुंबई की स्पेशल कोर्ट में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सातों आरोपियों को फांसी की सज़ा देने की अपील की है।
NIA ने कोर्ट में अंतिम बहस के दौरान UAPA की धारा 16 का हवाला देते हुए कहा कि इस हमले में 6 मुस्लिम लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे, इसलिए आरोपियों को मौत की सज़ा दी जानी चाहिए। एजेंसी ने इस केस में 1500 से ज्यादा पन्नों की दलील कोर्ट में पेश की है। कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है, जो 8 मई को सुनाया जाएगा।
विशेष बात यह है कि पहले NIA का एक प्रयास यह था कि यह साध्वी प्रज्ञा को बरी करे, लेकिन सबूतों की कमी के कारण ऐसा नहीं हो सका। फिलहाल एजेंसी ने अपना दांव सख्त कर दिया है और स्पष्ट कह दिया है कि यह मामले में किसी को भी राहत नहीं मिलनी चाहिए।
साध्वी प्रज्ञा के साथ ही, जिन लोगों पर आरोप है उनमें कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, स्वामी दयानंद पांडे, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी ने हिंदुत्व की विचारधारा को अपनी प्रेरणा के रूप में लेकर एक साजिश के तहत इस बम धमाके को अंजाम दिया।
जमीयत उलेमा महाराष्ट्र के लीगल सेल ने भी आरोपियों के लिए फांसी की मांग की। वकील शाहिद नदीम ने कहा कि यदि कोई आतंकी हमला होता है और मौत होती है, तो UAPA की धारा 16 के तहत फांसी की सजा हो सकती है।
बता दें, यह धमाका सितंबर 2008 में मालेगांव की एक मस्जिद के पास हुआ था, जहां मोटरसाइकिल में बम रखकर ब्लास्ट किया गया। इस हमले में 6 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए थे।
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