FY25 में भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में यूरोपीयन यूनियन (EU) का हिस्सा केवल 15% रह गया है। यह आंकड़ा कई महत्वपूर्ण आर्थिक और व्यापारिक बदलावों को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में विभिन्न वैश्विक बाजारों की भूमिका में परिवर्तन आया है, जिसमें EU का हिस्सा घटने के पीछे कई कारण हैं।
EU में हिस्सेदारी घटने के कारण
- बाजार प्रतिस्पर्धा: अन्य वैश्विक बाजारों, जैसे कि अमेरिका, चीन और जापान में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जिससे EU के निर्यात में कमी आई है।
- नियम और प्रतिबंध: EU की कठोर गुणवत्ता मानक और निर्यात नियम भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं।
- मुद्रास्फीति और क़ीमतें: वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण समुद्री खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव, जिसने EU निर्यात को प्रभावित किया।
भारत के समुद्री खाद्य निर्यात के अन्य प्रमुख बाजार
हालांकि EU का हिस्सा घटा है, लेकिन भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात ने अन्य बाज़ारों में विस्तार किया है। ये बाज़ार निम्नलिखित हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: सबसे बड़ा बाजार बन चुका है, जहां भारत के समुद्री खाद्य की मांग तेजी से बढ़ रही है।
- चीन और जापान: इन एशियाई देशों में भी निर्यात बढ़ा है, खासकर वाणिज्यिक समुद्री उत्पादों में।
- दक्षिण पूर्व एशिया: मलेशिया, थाईलैंड जैसे देशों में भारतीय समुद्री खाद्य का निर्यात लगातार बढ़ रहा है।
आगे का रास्ता
भारत को अपने निर्यात को और अधिक विविध बनाने और EU के साथ व्यापार को पुनः सुदृढ़ करने के लिए नई नीतियां और रणनीतियां अपनानी होंगी। इसमें प्रमुख कदम हो सकते हैं:
- गुणवत्ता मानकों में सुधार
- वैश्विक बाजारों को समझना और स्थानीय मांग के अनुसार उत्पाद विकसित करना
- निर्यात प्रमोशन और ट्रेड एग्रीमेंट्स को मजबूत करना
निष्कर्ष: FY25 में समुद्री खाद्य निर्यात में EU का हिस्सा कम होने के बावजूद, भारत के लिए वैश्विक समुद्री खाद्य बाजार में अवसर अभी भी व्यापक हैं। भारत की निर्यात नीति और रणनीतियों का सुधार इस क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बना सकता है।
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