April 19, 2025

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“हम हिंदुओं से अलग हैं, पाकिस्तान कलमे पर बना है”: ओवरसीज पाकिस्तानियों को आइडियोलॉजी समझाते नज़र आए जनरल असीम मुनीर

असीम
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पाकिस्तान , 17 अप्रैल :पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने ओवरसीज पाकिस्तानियों (विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों) के पहले सालाना सम्मेलन में एक ऐसा भाषण दिया जो पूरी तरह धर्म से जुड़ा हुआ था। ये सम्मेलन 13 से 16 अप्रैल के बीच इस्लामाबाद में हुआ और 16 अप्रैल को मुनीर ने इसे संबोधित किया।अपने भाषण में मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान का निर्माण इस सोच पर हुआ था कि मुसलमान और हिंदू अलग-अलग कौमें हैं। उन्होंने कहा कि हमारा धर्म, रीति-रिवाज, परंपराएं, सोच और सपने हिंदुओं से बिल्कुल अलग हैं। इसी सोच से दो-कौमी सिद्धांत की शुरुआत हुई। हम एक नहीं, दो अलग कौमें हैं।

मुनीर, जिन्हें लोग पाकिस्तान में ‘मुल्ला जनरल’ के नाम से भी जानते हैं, ने कहा कि पाकिस्तान पूरी तरह कलमे (इस्लामिक विश्वास) की नींव पर बना है। उन्होंने दावा किया कि इतिहास में सिर्फ दो देश ऐसे बने हैं जो पूरी तरह इस्लामिक कलमे पर आधारित थे— एक रियासत-ए-तैयबा (जो आज मदीना है), और दूसरा पाकिस्तान, जो हमें 1300 साल बाद मिला। मुनीर ने शायरी के ज़रिए भावनाओं को छूने की कोशिश की और ओवरसीज पाकिस्तानियों से कहा कि वे पाकिस्तान की कहानी अपनी आने वाली पीढ़ियों को ज़रूर बताएं, ताकि वे देश से जुड़े रहें। उन्होंने कहा, ‘आपकी तीसरी, चौथी या पाँचवीं पीढ़ी भी पाकिस्तान को अपना समझे — यह ज़रूरी है।’

अपने भाषण में उन्होंने विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों की तारीफ की और कहा कि जो लोग बाहर रहकर पैसे भेजते हैं, निवेश करते हैं, वे दिखाते हैं कि उन्हें पाकिस्तान से कितना प्यार है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘आप भले ही अलग संस्कृति में रहते हैं, लेकिन आप एक ‘सुपीरियर आइडियोलॉजी’ (श्रेष्ठ सोच) से जुड़े हुए हैं।’मुनीर ने कश्मीर का मुद्दा भी उठाया और कहा कि जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान की ‘शरीयान’ (जीवनरेखा) है। साथ ही उन्होंने फिलिस्तीन के ग़ज़ा इलाके में चल रहे इज़रायली हमलों पर दुख जताया और कहा कि पाकिस्तानी जनता ग़ज़ा के मुसलमानों के साथ खड़ी है।

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हालांकि, मुनीर ने अपने भाषण में पाकिस्तान की उस सच्चाई को नहीं छुआ जिसमें 1971 में बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हो गया था। उन्होंने बंटवारे के समय की हिंसा और त्रासदी का भी कोई ज़िक्र नहीं किया। उनका पूरा भाषण सिर्फ धार्मिक सोच पर आधारित था।

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