18 फरवरी, मंगलवार: हाल के वर्षों में, अवैध इमिग्रेशन और फर्जी इमिग्रेशन कंपनियों की गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। ये कंपनियां विदेश में नौकरी या स्थायी निवास का सपना दिखाकर भोले-भाले लोगों से भारी रकम वसूलती हैं। हालांकि, जब इनके धोखाधड़ी के कारनामे उजागर होते हैं, तो ये अपने दफ्तरों पर ताले लगाकर फरार हो जाते हैं, जिससे पीड़ितों को न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि उनका विश्वास भी टूटता है।
गिरफ्तार जालसाज गुरविंदर सिंह उर्फ गुरी को आव्रजन धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था। रिमांड के दौरान पूछताछ के दौरान मामले में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं।
पूछताछ के दौरान, यह पता चला कि उसने संपत्तियों के माध्यम से विदेश में धोखाधड़ी का पैसा भी निवेश किया है। युवाओं को विदेश भेजने के सपने दिखाकर ठगे जाने वाली कई फर्जी आव्रजन कंपनियों ने अपने कार्यालयों को बंद कर दिया है और भाग गए हैं। पुलिस ने उनकी संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया बताई है |
दिल्ली पुलिस ने अवैध इमिग्रेशन के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए वर्ष 2024 में 203 एजेंटों को गिरफ्तार किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 107% अधिक है। इनमें से अधिकांश गिरफ्तारियां पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से की गईं। ये एजेंट फर्जी वीज़ा, पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज तैयार कर लोगों को विदेश भेजने का झांसा देते थे। इसके अलावा, पुलिस ने 121 लुक-आउट सर्कुलर भी जारी किए, ताकि फरार एजेंटों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा सके।
महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में 29 स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई उन आरोपियों के खिलाफ थी, जो फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से विदेश भेज रहे थे। ईडी ने 50.10 लाख रुपये की बैंक जमा राशि फ्रीज की और कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण, पासपोर्ट और लक्जरी वाहन जब्त किए। इन आरोपियों पर आरोप है कि वे प्रति व्यक्ति 60 लाख से 75 लाख रुपये तक वसूलते थे।
मोहाली में पुलिस ने एक इमिग्रेशन कंपनी ‘रुद्राक्ष ग्रुप ओवरसीज सॉल्यूशंस’ के मालिक समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया, जो विदेश भेजने के नाम पर ठगी कर रहे थे। इनके खिलाफ विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज हैं।
इन घटनाओं के मद्देनजर, पुलिस और प्रवर्तन एजेंसियां फर्जी इमिग्रेशन कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं। इन कंपनियों की संपत्तियों को जब्त किया जा रहा है, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकी जा सके। साथ ही, जनता को भी सतर्क रहने और किसी भी इमिग्रेशन सेवा का उपयोग करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करने की सलाह दी जाती है।
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