पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है। इसी बीच व्यापारियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। भारत ने मानवीय रुख अपनाते हुए अफगान ट्रकों को देश में प्रवेश की अनुमति दे दी है, वहीं पाकिस्तान ने इन ट्रकों को रोक रखा था। 16 मई शुक्रवार को अटारी एकीकृत जांच चौकी (ICP) से अफगानिस्तान से आए 8 ट्रक भारत में दाखिल हुए। ये ट्रक 24 अप्रैल से लाहौर और वाघा सीमा के बीच फंसे हुए थे।
भारतीय अधिकारियों ने विशेष मानवीय कदम उठाते हुए लगभग 150 अफगान ट्रकों को भारत में प्रवेश की अनुमति दी है। ये ट्रक ड्राय फ्रूट्स और मेवों से लदे हुए थे। हालांकि, व्यापारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने इन ट्रकों को अपने क्षेत्र में क्लीयरेंस देने से इनकार कर दिया था, जिससे वे दो हफ्तों तक ‘नो मैन्स लैंड’ में फंसे रहे।
अधिकारिक पुष्टि और आभार
इंडो-फॉरेन चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बी.के. बजाज ने इस विकास की पुष्टि की और बताया, “8 ट्रक भारतीय सीमा में प्रवेश कर चुके हैं, और बाकी ट्रकों के आने की उम्मीद है। हम भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान सरकारों का धन्यवाद करते हैं।”
व्यापारियों को भारी नुकसान
अमृतसर के ड्राय फ्रूट व्यापारी मुकेश सिधवानी ने बताया, “रास्ता बंद होने के कारण माल की गुणवत्ता खराब हो रही थी। भारतीय आयातकर्ता अफगानी व्यापारियों को पहले ही भुगतान कर चुके होते हैं। अगर यह रास्ता नहीं खुलता, तो हमें भारी नुकसान उठाना पड़ता।”
अमृतसर स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए एकमात्र मान्यता प्राप्त जमीनी मार्ग है, और भारत के अफगानिस्तान से 90 प्रतिशत से अधिक व्यापार इसी मार्ग से होता है। सिधवानी ने कहा, “सामान अर्द्ध-नाशवान होता है, और हर दिन की देरी हमें आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाती है।”
ऑपरेशन सिंदूर और सीज़फायर की पृष्ठभूमि
यह घटनाक्रम तब हुआ जब भारत और पाकिस्तान ने हालिया सैन्य तनाव के बाद 10 मई को अस्थायी युद्धविराम पर सहमति जताई थी, जिसे 18 मई तक बढ़ाया गया है। इस विंडो का उपयोग दोनों देशों ने व्यापार और मानवीय कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए किया। भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए थे) के जवाब में किया गया था। हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ बताया गया था।
तालिबान और भारत के बीच नया संवाद
16 मई को तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा, “अफगानिस्तान भारत के साथ अपने रिश्तों को सामान्य करने की कोशिश कर रहा है और देश के विकास के लिए निवेश आमंत्रित कर रहा है।” यह बयान उस समय आया जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच ऐतिहासिक बातचीत हुई।
यह तालिबान शासन के साथ भारत की पहली मंत्री स्तर की बातचीत थी। इस बातचीत के दौरान तालिबान मंत्री ने भारत को एक अहम क्षेत्रीय साझेदार बताया और व्यापार, वीज़ा सुविधा, कैदियों की रिहाई और आपसी संबंधों को बेहतर बनाने की बात की।
पाक मीडिया की रिपोर्ट का खंडन
जयशंकर ने मुत्ताकी के साथ फोन पर बातचीत में अफगानिस्तान और भारत के बीच विश्वास को तोड़ने की झूठी खबरों को खारिज करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने पाकिस्तानी मीडिया की उस रिपोर्ट को भी झूठा बताया जिसमें कहा गया था कि भारत ने पहलगाम में ‘फॉल्स फ्लैग’ ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तालिबान को ‘हायर’ किया।
संबंधों में नई शुरुआत की उम्मीद
ट्रेड यूनियन और स्थानीय कामगारों के लिए भी यह खबर राहत लेकर आई है। अटारी ICP पर काम करने वाले कुली गुरसाहिब सिंह ने कहा, “हमारी रोज़ी-रोटी इस व्यापार पर निर्भर है। बॉर्डर बंद होने के कारण हमारा भविष्य अंधकारमय लग रहा था।”
इस घटनाक्रम से व्यापारियों को उम्मीद है कि भारत-अफगानिस्तान के बीच व्यापार फिर से सामान्य गति से आगे बढ़ेगा, भले ही भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में अब भी खटास बनी हुई हो।
अभी तक लगभग 40-50 ट्रक प्रतिदिन अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत आते हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में सुरक्षा जांच में अधिक समय लग सकता है। व्यापारियों को उम्मीद है कि अगले एक हफ्ते में सभी ट्रक भारत में प्रवेश कर जाएंगे।
यह घटनाक्रम न केवल अफगान व्यापारियों के लिए राहत की बात है बल्कि भारत और अफगानिस्तान के बीच फिर से सकारात्मक संवाद और सहयोग की संभावनाओं की ओर इशारा करता है।
ज़्यादा कहानियां
सरकार ने पाकिस्तानी झंडे और सामान बेचने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई की
एप्पल ने ट्रम्प की आलोचना को खारिज किया, भारत में मजबूत निवेश योजनाओं की पुष्टि की
यूपी में नई आबकारी नीति लागू होने से पहले शराब की दुकानों पर भारी छूट