25 मई 1998 को पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की एक घरेलू उड़ान को उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद हाईजैक कर लिया गया। यह फ्लाइट, PIA फ्लाइट 544, ग्वादर से उड़ान भरकर सिंध प्रांत के हैदराबाद जा रही थी। विमान में 33 यात्री और 5 क्रू सदस्य सवार थे।
उड़ान के लगभग 10 मिनट बाद, तीन हथियारबंद व्यक्तियों ने विमान को हाईजैक कर लिया। एक अपहरणकर्ता कॉकपिट में घुस गया जबकि अन्य दो विमान के अगले और पिछले हिस्से में तैनात हो गए। उन्होंने पायलट को विमान को सीधी दिशा में उड़ाने का आदेश दिया, जिससे विमान भारतीय सीमा की ओर बढ़ने वाला था।
पायलट ने स्थिति को समझते हुए अपहरणकर्ताओं से कहा कि विमान में ईंधन की कमी है और वे केवल भारत के भुज एयरपोर्ट तक ही जा सकते हैं। इसके बाद पायलट ने गुप्त रूप से एयर ट्रैफिक कंट्रोल से अंग्रेजी में संपर्क किया। योजना के अनुसार, हैदराबाद एयरपोर्ट को भुज एयरपोर्ट जैसा दिखाने के लिए तैयार किया गया। वहां से पाकिस्तानी झंडा हटाकर भारतीय तिरंगा फहराया गया और एयरपोर्ट के बोर्ड भी बदल दिए गए।
पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी भी इस योजना में शामिल हुए और भारतीय अधिकारी बनकर एक-दूसरे को भारतीय नामों से संबोधित करने लगे। विमान हैदराबाद एयरपोर्ट पर उतरा, जिसे पूरी तरह से भुज जैसा बना दिया गया था।
बाद में एक नई चिंता सामने आई कि सुबह की अज़ान (इस्लामी प्रार्थना का आह्वान) की आवाज़ से अपहरणकर्ताओं को यह आभास हो सकता है कि वे अभी भी पाकिस्तान में हैं। इसलिए ऑपरेशन को सुबह से पहले ही समाप्त कर दिया गया। अपहरणकर्ताओं को बिना किसी संघर्ष के गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद यह स्पष्ट हुआ कि तीनों अपहरणकर्ता बलूच छात्र थे। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 2015 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। इस घटना पर पाकिस्तान में कई डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज़ बनाई जा चुकी हैं, जिनमें अधिकारियों की तत्परता को दिखाया गया है।
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