June 18, 2025

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केदारनाथ हादसे के बाद दो पायलटों के लाइसेंस रद्द: सुरक्षा की नई राह पर चारधाम यात्रा

केदारनाथ
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15 जून 2025 को केदारनाथ के पास हुई दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में सात यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें पायलट और श्रद्धालु दोनों शामिल थे। इसके बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दो पायलटों के लाइसेंस छह महीने के लिए निलंबित कर दिए हैं। आरोप है कि इन पायलटों ने खराब मौसम और कम दृश्यता के बावजूद उड़ान भरी थी।

चारधाम यात्रा के दौरान बीते डेढ़ महीने में यह पांचवीं हेलीकॉप्टर से जुड़ी दुर्घटना थी, जो साफ दर्शाती है कि इस तीर्थ यात्रा में सुरक्षा के स्तर पर गंभीर खामियां हैं। पहाड़ी इलाका, अचानक बदलता मौसम, और सीमित इंफ्रास्ट्रक्चर—ये सब मिलकर तीर्थ यात्रियों की जान को खतरे में डालते हैं।

कुछ दिन पहले ही एक और हेलीकॉप्टर, जो केदारनाथ से यात्रियों को ला रहा था, तकनीकी खराबी के चलते हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग करने को मजबूर हो गया था। उस वक्त तो जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना भविष्य के बड़े हादसे की चेतावनी साबित हुई थी।

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DGCA की सख्त कार्रवाई

इस दुखद दुर्घटना के बाद DGCA ने ट्रांसभारत एविएशन के दो पायलटों के लाइसेंस को निलंबित कर दिया है। साथ ही, आर्यन एविएशन कंपनी की सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं। चारधाम रूट पर सभी ऑपरेटरों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और सरप्राइज ऑडिट की व्यवस्था शुरू की गई है।

अब से केवल अनुभवी और घाटी उड़ान में प्रशिक्षित पायलटों को ही इन रूट्स पर उड़ान भरने की अनुमति होगी। साथ ही, खराब मौसम में उड़ानों पर रोक, हेलीकॉप्टर की तकनीकी जांच, और केवल ट्विन इंजन वाले हेलीकॉप्टर की तैनाती जैसे नियम लागू किए जा रहे हैं।

सरकार और प्रशासन की रणनीति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि सितम्बर तक एक तकनीकी समिति नई SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार करेगी। इसके तहत:

  • हेलीपैड्स पर लाइव कैमरा और मौसम निगरानी प्रणाली लगेगी।
  • हेलीकॉप्टर कंपनियों के ऑडिट किए जाएंगे।
  • उड़ान से पहले मौसम की पूरी रिपोर्ट अनिवार्य की जाएगी।
  • जनता का आक्रोश और भावनात्मक असर

केदारनाथ की यात्रा लाखों लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। लेकिन जब इस यात्रा में जाने वाले श्रद्धालु हादसे का शिकार होते हैं, तो यह सिर्फ एक खबर नहीं बल्कि परिवारों का टूटता सपना बन जाती है। महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश से आए तीर्थयात्रियों के परिवार इस त्रासदी से बेहद आहत हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

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एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सिफारिश की है कि अब केवल ट्विन-इंजन हेलीकॉप्टर ही इन संवेदनशील इलाकों में इस्तेमाल किए जाएं।

आगे की राह

फिलहाल दो पायलटों को छह महीने के लिए उड़ान से प्रतिबंधित कर दिया गया है, ताकि वे फिर से ट्रेनिंग और सुरक्षा मानकों की समीक्षा कर सकें। ऑपरेटर कंपनियों पर भी दबाव है कि वे सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें।

सरकार और DGCA की ओर से उठाए गए यह कदम केवल पायलटों की जवाबदेही तय करने के लिए नहीं, बल्कि पूरे तंत्र को सुधारने की दिशा में उठाए गए एक व्यापक प्रयास हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में चारधाम यात्रा पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद होगी।

यह दुर्घटना एक चेतावनी थी कि श्रद्धा के साथ सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। दो पायलटों के लाइसेंस रद्द होना केवल शुरुआत है, लेकिन इसके ज़रिये सरकार ने यह संदेश जरूर दिया है कि अब लापरवाही की कोई जगह नहीं है। तीर्थयात्रा को आस्था के साथ-साथ अब सुरक्षा की नई ऊँचाईयों तक पहुँचाना होगा। पढ़ते रहिये Questiqa Bharat |

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