प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 जुलाई 2025 को महान आध्यात्मिक नेता और विचारक स्वामी विवेकानंद की 123वीं पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर लिखा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन और उनके विचार आज भी भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी जी ने समाज को सेवा, करुणा और आत्म-गौरव का मार्ग दिखाया।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था और उन्होंने 4 जुलाई 1902 को दुनिया को अलविदा कह दिया। वे रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे और उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में कार्यरत है। विवेकानंद ने अपने जीवन में भारतीय संस्कृति, धर्म और आत्मज्ञान का जो संदेश दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा में दिया गया उनका भाषण भारतीय आत्मा की गूंज बनकर दुनिया में फैल गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वामी विवेकानंद के तीन प्रमुख विचारों को विशेष रूप से याद किया—पहला, अपने इतिहास और संस्कृति पर गर्व; दूसरा, सेवा और करुणा का मार्ग; और तीसरा, युवाओं में आत्मविश्वास और जागरूकता पैदा करना। उन्होंने कहा कि विवेकानंद ने भारत के युवाओं को “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए” का अमर संदेश दिया, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करता है।
देश के कई अन्य नेताओं ने भी स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें भारतीय संस्कृति और आत्मबल का प्रतीक बताया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन आज भी राष्ट्रनिर्माण में सहायक है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्वामी विवेकानंद की सोच केवल धर्म तक सीमित नहीं थी, बल्कि उन्होंने शिक्षा, समाज सेवा और राष्ट्रीय एकता पर भी बल दिया। उनके विचारों ने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में युवाओं को नई दिशा दी है। उनकी पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदी और देशवासियों की ओर से किया गया स्मरण इस बात का प्रतीक है कि भारत आज भी उनके दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है।
स्वामी विवेकानंद के विचार आज के समय में और अधिक ज़रूरी हो गए हैं, जब दुनिया मानवता, शांति और आत्मबोध की तलाश में है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची शक्ति आत्मविश्वास, सेवा और ज्ञान में छिपी होती है।पढ़ते रहिये क्वेस्टीका भारत |
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