भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में भारत के साथ सिंधु जल संधि, आतंकवाद और कश्मीर जैसे मुद्दों पर बातचीत की पेशकश की थी। हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया है और स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाता, तब तक किसी भी प्रकार की बातचीत संभव नहीं है।
सिंधु जल संधि का इतिहास और वर्तमान स्थिति
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हस्ताक्षरित हुई थी। इस संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों—सतलुज, ब्यास और रावी—का नियंत्रण मिला, जबकि पाकिस्तान शहबाज को पश्चिमी नदियों—सिंधु, झेलम और चेनाब—का अधिकार प्राप्त हुआ। यह संधि दशकों तक दोनों देशों के बीच जल विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का माध्यम रही है।
हालांकि, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इस हमले में 26 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक की जान गई थी। भारत का कहना है कि यह हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों द्वारा किया गया था।
भारत का स्पष्ट संदेश: आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और प्रभावी कार्रवाई नहीं करता, तब तक किसी भी प्रकार की बातचीत संभव नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “हम दोहराना चाहते हैं कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच भविष्य में कोई भी बातचीत केवल आतंकवाद और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) की वापसी पर ही केंद्रित होगी।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और चिंता
पाकिस्तान ने भारत के इस निर्णय पर चिंता व्यक्त की है। पाकिस्तानी विपक्षी नेता सैयद अली ज़फर ने इसे “पानी का बम” करार देते हुए कहा कि इससे पाकिस्तान की कृषि और जल सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने अपनी सरकार से तत्काल कूटनीतिक समाधान खोजने का आग्रह किया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत के “युद्ध जैसे कृत्यों” के लिए उसे जिम्मेदार ठहराने की अपील की है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र भारत के “गैर-जिम्मेदाराना और अवैध कार्यों” को सहन नहीं कर सकता।
भारत की आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल संधि को “खराब तरीके से की गई बातचीत” करार देते हुए कहा कि यह भारत के हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भारत अब अपने हिस्से के जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग करेगा।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी भारत की स्थिति को दोहराते हुए कहा कि भारत ने अब तक पाकिस्तान के प्रति उदारता दिखाई है, लेकिन अब सुरक्षा और भू-राजनीतिक चिंताओं के मद्देनजर अपनी स्थिति में बदलाव ला रहा है।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि का निलंबन और बातचीत से इनकार दोनों देशों के संबंधों में एक नए तनावपूर्ण अध्याय की शुरुआत है। भारत का स्पष्ट संदेश है कि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई के बिना किसी भी प्रकार की बातचीत संभव नहीं है। यह स्थिति क्षेत्रीय स्थिरता और जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ क्या कदम उठाता है और दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की कोई संभावना बनती है या नहीं।
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