उत्तर प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति 1 अप्रैल से लागू होने जा रही है, जिसके चलते राज्यभर में शराब विक्रेता अपनी मौजूदा स्टॉक को खत्म करने के लिए भारी छूट दे रहे हैं। लखनऊ, नोएडा और मेरठ जैसे शहरों में कई शराब की दुकानों के बाहर बड़े-बड़े बैनर लगे हुए हैं, जिनमें ‘एक खरीदो, एक मुफ्त पाओ’ जैसी योजनाओं का प्रचार किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में शराब की दुकानों के बाहर भारी भीड़ और भगदड़ जैसी स्थिति देखी जा सकती है।
नीति परिवर्तन से पहले स्टॉक की बिक्री
सरकार ने शराब की दुकानों के आवंटन के लिए परंपरागत लाइसेंस नवीनीकरण की जगह ई-लॉटरी प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। इस नई नीति के तहत कई मौजूदा लाइसेंस धारकों को बदल दिया जाएगा, जिससे व्यापारी अपनी बची हुई स्टॉक को समय पर बेचने में असफल रहने पर भारी वित्तीय नुकसान की आशंका जता रहे हैं।
शराब संघ के अधिवक्ता रोहित जायसवाल ने बताया कि व्यापारियों ने सरकार से 31 मार्च से पहले बचा हुआ स्टॉक वापस लेने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी। हालांकि, सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है। अगर सरकार इस पर कोई निर्देश जारी नहीं करती है, तो 31 मार्च के बाद व्यापारियों को अपने बचे हुए स्टॉक को नष्ट करना होगा।
नई शराब नीति के प्रमुख बदलाव
संशोधित आबकारी नीति के तहत समग्र शराब की दुकानें (कॉम्पोजिट शॉप्स) शुरू की जाएंगी, जहां बियर और भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) एक साथ बेची जाएंगी, जिससे स्वतंत्र शराब दुकानों की कुल संख्या कम हो जाएगी। इसके अलावा, सरकार ने देसी शराब को केवल टेट्रा पैक में बेचने की अनिवार्यता लागू की है, जिससे मिलावट को रोका जा सके। देसी शराब के लिए न्यूनतम गारंटी कोटा (MGQ) में 10% की वृद्धि की गई है, जबकि प्रति बल्क लीटर का लाइसेंस शुल्क ₹254 से बढ़ाकर ₹260 कर दिया गया है।
नोएडा में, शराब की दुकानों की संख्या 535 से घटाकर 501 कर दी गई है, जिनमें से 239 समग्र दुकानें होंगी। अधिकारियों का अनुमान है कि नोएडा में प्रतिदिन औसतन 10,000 बियर की बोतलें, 30,000 IMFL बोतलें और 40,000 देसी शराब की बोतलें बिकती हैं, जिससे ₹3-4 करोड़ का दैनिक राजस्व उत्पन्न होता है। मौजूदा छूट के चलते इस सप्ताह बिक्री में 30-40% की वृद्धि होने की संभावना है।
‘एक खरीदो, एक मुफ्त पाओ’ योजना पर राजनीतिक विवाद
इस छूट योजना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है, जिसमें विपक्षी पार्टियां भाजपा-शासित उत्तर प्रदेश सरकार पर शराबखोरी को बढ़ावा देने का आरोप लगा रही हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता और पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री आतिशी ने इस योजना की आलोचना करते हुए पूछा कि क्या भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इस योजना को मंजूरी दी थी। उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा ने पहले दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की इसी तरह की शराब नीति का विरोध किया था और इसकी जांच की मांग की थी।
आतिशी ने आगे आरोप लगाया कि अगर दिल्ली में ‘एक खरीदो, एक मुफ्त पाओ’ योजना लागू होती, तो भाजपा इसे भ्रष्टाचार बताकर सीबीआई-ईडी जांच शुरू कर देती। उन्होंने पार्टी को चुनौती दी कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी ऐसी ही कार्रवाई करे।
जनता की प्रतिक्रिया और आर्थिक प्रभाव
दिल्ली से सटे नोएडा में भारी छूट के चलते शराब की बिक्री में उछाल आया है, जिससे राजधानी से बड़ी संख्या में खरीदार यहां पहुंच रहे हैं। जहां शराब प्रेमी इस अवसर से खुश हैं, वहीं इस नीति परिवर्तन को लेकर सार्वजनिक सुरक्षा की चिंता भी बढ़ रही है, क्योंकि शराब की दुकानों के बाहर भारी भीड़ और अव्यवस्था देखी जा रही है।
जैसे-जैसे 31 मार्च की समय सीमा नजदीक आ रही है, शराब विक्रेता और अधिक भीड़ के लिए तैयार हो रहे हैं, और प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है। एक बार नई आबकारी नीति लागू होने के बाद, उत्तर प्रदेश के शराब व्यापार में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे, जिससे खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं दोनों पर प्रभाव पड़ेगा।
लेटेस्ट खबरों के लिए Questiqa Bharat पर पढ़ते रहें
हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़ें और ताजा खबरें पाएं:
🔗 Questiqa Twitter
🔗 Questiqa News Updates
🔗 Questiqa Website
ज़्यादा कहानियां
केवल ज़मीन नहीं, कश्मीरियों को अपनाइए: घाटी में तनाव के बीच ओवैसी की मोदी सरकार से भावुक अपील
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव चरम पर, भारत ने अफगान ट्रकों के लिए खोला दरवाज़ा
सरकार ने पाकिस्तानी झंडे और सामान बेचने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई की