June 17, 2025

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औरंगजेब की मजार को लेकर नागपुर में हिंसक झड़पें, दर्जनों लोग घायल

नागपुर
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18th March 2025: नागपुर में सोमवार देर रात उस समय हिंसा भड़क उठी जब औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बेकाबू हो गया। इस दौरान हुई झड़पों में दर्जनों लोग घायल हो गए, जिनमें कम से कम 10 एंटी-रायट कमांडो, दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दो दमकलकर्मी शामिल हैं। एक कांस्टेबल की हालत गंभीर बताई जा रही है। उग्र भीड़ ने दो बुलडोजर और करीब 40 वाहनों को आग के हवाले कर दिया, जिनमें पुलिस की गाड़ियां भी शामिल थीं। सुरक्षाबलों को हालात काबू में करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए अब तक 50 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने इस हिंसा पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह घटना ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागपुर दौरे में मात्र दो सप्ताह बचे हैं। हिंसा के पीछे की वजह रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंसा तब शुरू हुई जब अफवाहें फैलीं कि प्रदर्शनकारियों ने औरंगजेब का पुतला और एक धार्मिक चादर शिवाजी पुतला चौक, महल गेट के पास जला दी। यह जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर है। स्थिति तब और बिगड़ गई जब चिटनिस पार्क और हंसापुरी में कथित रूप से पथराव की घटनाएं हुईं, जिसमें कई लोग घायल हो गए और कई वाहन आग के हवाले कर दिए गए। नागपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लागू हिंसा को देखते हुए नागपुर के कई इलाकों—कोतवाली, गणेशपेठ, तहसील, लकड़गंज, पाचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरानगर और कपिलनगर पुलिस थाने की सीमा में कर्फ्यू लगा दिया गया। इसके साथ ही पुलिस ने अफवाहों पर रोक लगाने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 के तहत संचार कर्फ्यू लागू कर दिया। राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आरोप-प्रत्यारोप इस हिंसा पर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागरिकों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की। फडणवीस ने कहा, “नागपुर हमेशा एक शांतिपूर्ण शहर रहा है, जहां लोग सौहार्दपूर्ण ढंग से रहते हैं। मैं सभी से शांति बनाए रखने और कानून व्यवस्था का सहयोग करने की अपील करता हूं।” इस बीच, नागपुर के संरक्षक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। वहीं, सेंट्रल नागपुर के विधायक प्रवीन दटके ने आरोप लगाया कि “बाहरी तत्वों” को बुलाकर हिंसा भड़काई गई और पुलिस समय रहते कार्रवाई करने में विफल रही। उन्होंने कहा, “यह सब पहले से योजनाबद्ध था। हिंसा शुरू होने से पहले भीड़ ने पहले सभी सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए और फिर हिंदू घरों और दुकानों को निशाना बनाया।” AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान ने हिंसा की निंदा करते हुए भाजपा नेताओं पर तनाव भड़काने का आरोप लगाया। वहीं, भाजपा सांसद अनिल बॉण्डे ने विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन पर संगठित अपराधियों को हिंसा भड़काने के लिए उकसाने का आरोप लगाया। VHP और बजरंग दल की धमकी हिंदूवादी संगठनों विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने औरंगजेब की कब्र को नहीं हटाया, तो वे खुद इसे गिरा देंगे। इसी दौरान उत्तर प्रदेश के एक दक्षिणपंथी संगठन ने कब्र गिराने वाले को ₹21 लाख का इनाम देने की घोषणा भी कर दी थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार को औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा करनी पड़ रही है, जबकि उसने अपने समय में इतने हिंदुओं पर अत्याचार किए थे।” भाजपा नेता नितेश राणे ने तो यहां तक कह दिया कि “अगर अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिर सकती है, तो यह कब्र भी हटाई जा सकती है।” सुरक्षा इंतजाम और प्रतिबंध नागपुर पुलिस कमिश्नर रवींद्र कुमार सिंगल ने हिंसा को रोकने के लिए सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। प्रभावित इलाकों में लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है और धारा 144 लागू कर दी गई है। पुलिस को सड़कें बंद करने और पांच से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा होने पर कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा, अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती की गई है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि हिंसा के बावजूद खुल्ताबाद, जहां औरंगजेब की कब्र है, वहां कड़ी सुरक्षा के चलते शांति बनी रही। हिंसा के दौरान प्रत्यक्षदर्शियों का बयान महल के पुराने इलाकों में हिंसा के बाद तनाव साफ झलक रहा था। मौके पर मौजूद एक पत्रकार ने बताया कि “सड़कों पर ईंट-पत्थर बिखरे हुए थे और जगह-जगह जलने के निशान थे। आंसू गैस की गंध अभी भी हवा में थी, जिससे पुलिसकर्मी भी प्रभावित हो रहे थे।” एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह हिंसा अचानक नहीं हुई, बल्कि इसे सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया। हमलावरों ने सबसे पहले सभी सीसीटीवी कैमरे तोड़े और फिर हमले शुरू किए। पुलिस पहले हमले के वक्त मौके पर बहुत कम संख्या में मौजूद थी।” अगले कदम और प्रभाव इस हिंसा के बाद नागपुर में स्कूल बस ऑपरेटरों ने अपनी सेवाएं रोक दी हैं। हिंसा प्रभावित इलाकों के स्कूल और कॉलेज भी एहतियात के तौर पर बंद कर दिए गए हैं। हालांकि, सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ, लेकिन संस्थानों ने खुद ही सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया। विपक्ष ने इस हिंसा के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “नागपुर में 300 सालों में दंगे नहीं हुए थे। पिछले कुछ दिनों से 300 साल पुरानी ऐतिहासिक घटनाओं को हथियार बनाकर समाज को बांटने की कोशिश की जा रही थी। इस हिंसा ने सत्तारूढ़ विचारधारा का असली चेहरा दिखा दिया।” वहीं, शिवसेना की विधायक मनीषा कायंडे ने अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, “यह हिंसा बिना योजना के नहीं हो सकती थी। अब आरोप-प्रत्यारोप बंद होना चाहिए और राज्य सरकार को स्पष्ट कार्रवाई करनी होगी।” न हो।
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