नई दिल्ली, अप्रैल 2024: प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन ने अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। यह कार्रवाई उनके परिवार की सदस्य और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन द्वारा भी इसी विषय में की गई याचिका के बाद हुई है। यह मुकदमा डिजिटल माध्यमों पर उनके छवि और नाम के दुरुपयोग को रोकने के लिए स्थगित है।
घटना क्या है?
आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में डिजिटल संपर्क का बढ़ना, साथ ही सोशल मीडिया की प्रभावशीलता के कारण सार्वजनिक हस्तियों की पहचान और छवि पर गलत उपयोग के मामले बढ़े हैं। ऐसे में अभिषेक बच्चन ने अपने व्यक्तित्व अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए कानूनी दायरे में कदम बढ़ाया है। उन्होंने उल्लेख किया है कि उनकी छवि के बिना अनुमति के उपयोग से भावनात्मक और आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में मुख्य पक्ष हैं:
- अभिषेक बच्चन
- उनकी पत्नी एवं अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन
- डिजिटल माध्यमों पर कंटेंट प्रदाता
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स
- संबंधित तकनीकी एजेंसियां
याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में दर्ज की गई है, जो भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थापित एक उच्चतम न्यायालय है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रस्तुत याचिका में अभिनेता ने व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि उनकी छवि का अनधिकृत उपयोग मानसिक कष्ट पैदा कर रहा है और उनका आर्थिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। कोर्ट में दिए गए दस्तावेजों में डिजिटल प्लेटफॉर्म द्वारा उचित मॉडरेशन न करने पर भी प्रश्न उठाए गए हैं। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रारंभिक सुनवाई के लिए जल्द तारीख निर्धारित की है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत में व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन के मामले लगभग 40% बढ़े हैं।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नकली अकाउंट और क्लोन प्रोफाइल की संख्या 2023 में 25% तक बढ़ी है।
- डिजिटल माध्यमों द्वारा बिना अनुमति छवि के उपयोग से प्रभावित व्यक्तियों को आर्थिक नुकसान पहुंचता है, जो वार्षिक रूप से करोड़ों रुपये का है।
तत्काल प्रभाव
अभिषेक बच्चन का यह कदम भारत में व्यक्तित्व अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। इससे अन्य सार्वजनिक हस्तियों और आम नागरिकों में भी अपने निजता और छवि के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ने की उम्मीद है। डिजिटल कंटेंट प्लेटफॉर्म्स भी अपनी मॉडरेशन नीतियों को सख्त कर सकते हैं। बाजार प्रभाव की दृष्टि से, इस प्रकार के कानूनी निर्णय से डिजिटल मीडिया कंपनियों के संचालन और नीति निर्धारण में बदलाव आ सकता है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार के डिजिटल नीति मंत्रालय ने कहा है कि राज्य इस तरह के मामलों में निष्पक्ष एवं संवेदनशील रवैया अपना रही है।
- विपक्षी दलों ने इस मामले को सकारात्मक कदम बताया है और कड़े कानूनों की आवश्यकता पर बल दिया है।
- डिजिटल अधिकार विशेषज्ञों ने इसे डिजिटल युग में निजता संरक्षण के लिए लाभकारी निर्णय माना है।
- आम जनता में इसे सही दिशा में एक ठोस प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
आगे क्या?
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई आगामी मई 2024 के पहले सप्ताह में निर्धारित की है। कोर्ट के आदेश के आधार पर डिजिटल मीडिया कंपनियों को कड़े दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। साथ ही, केंद्र सरकार की ओर से नई डिजिटल निजता और व्यक्तित्व अधिकार संरक्षण विधेयक पर काम चल रहा है, जिसकी अंतिम रूपरेखा वर्ष 2024 के अंत तक जारी होने की उम्मीद है।
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