September 15, 2025

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अमित शाह ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बारे में दी संतुलित सोच की अपील

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के संबंध में एक संतुलित और समावेशी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जो भारतीय भाषाई विविधता और राष्ट्रीय एकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच किसी प्रकार का टकराव नहीं है, बल्कि सभी भाषाओं का सम्मान और संरक्षण आवश्यक है।

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पृष्ठभूमि

भारत एक बहुभाषी देश है, जहाँ लगभग 22 आधिकारिक भाषाएँ और अनेक बोलियाँ प्रचलित हैं। हिंदी एक प्रमुख भाषा होते हुए भी, विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय भाषाओं का अपना विशेष महत्व है। पिछले दशकों में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में बढ़ावा देने को लेकर विवाद रहा है, पर सरकार ने हिंदी के साथ-साथ अन्य भाषाओं के संरक्षण पर भी ध्यान दिया है।

मुख्य पक्षकार

  • केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जोर दिया कि हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं है।
  • केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों और भाषा समूहों के बीच समन्वय कर रही है ताकि एक समृद्ध बहुभाषी राष्ट्र का निर्माण हो सके।
  • राज्य सरकारें और क्षेत्रीय संगठन अपनी-अपनी भाषाओं के संवर्धन में सक्रिय हैं।

राष्ट्रीय असर

अमित शाह के अनुसार, हिंदी को केवल एक भाषा के रूप में न देखते हुए उसे भारतीय भाषाओं के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए। इससे न केवल भाषा के प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी, बल्कि देश की एकता और सहयोग की भावना भी मजबूत होगी। केंद्रीय और राज्य सरकारें आपसी सम्मान और संतुलन बनाए रखने में लगी हैं, जो राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है।

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विशेषज्ञों की राय

  1. भाषा वैज्ञानिक और सामाजिक विश्लेषक मानते हैं कि भारत की भाषाई विविधता उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
  2. हिंदी को बढ़ावा देना जरूरी है, लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान महत्व देना जरूरी है।
  3. अमित शाह के बयान को भाषाई ध्रुवीकरण कम करने और सद्भाव बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना गया है।

आगे का रास्ता

भाषाई विविधता को बनाए रखने के लिए निम्न उपाय आवश्यक हैं:

  • शिक्षा नीतियों में सुधार कर बहुभाषी शिक्षा प्रणाली को विकसित करना।
  • सरकारी कार्यों में सभी भाषाओं का उपयुक्त उपयोग सुनिश्चित करना।
  • केंद्र और राज्यों के बीच संवाद बढ़ाना और भाषाई समूहों का सम्मान करना।
  • तकनीकी उपाय जैसे भाषा अनुवाद और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बहुभाषी समर्थन बढ़ाना।

भाषाई सह-अस्तित्व और सम्मान भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है तथा सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए आधार बनता है।

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