दिल्ली में हाल ही में ‘गंगा बहती हो क्यों’ नामक एक सांगीतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जो भारत रत्न भूपेन हजारीका की शताब्दी मनाने के लिए था। यह कार्यक्रम 2024 में संपन्न हुआ और इसमें मशहूर गायकों मयुख हजारीका, अनुप जलोटा समेत कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।
घटना क्या है?
भूपेन हजारीका, जिन्हें संगीत जगत में अत्यंत सम्मानित किया जाता है, की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में यह आयोजन किया गया। ‘गंगा बहती हो क्यों’ उनकी एक प्रसिद्ध रचना है, जिसने भारतीय संगीत प्रेमियों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। कार्यक्रम में विभिन्न संगीत शैलियों के माध्यम से उनकी स्मृति को सम्मानित किया गया।
कौन-कौन जुड़े?
- भूपेन हजारीका के पुत्र मयुख हजारीका ने अपनी प्रस्तुति दी।
- प्रसिद्ध भजन गायक अनुप जलोटा ने भी संगीत की मनोरम शाम को यादगार बनाया।
- कार्यक्रम में संगीत प्रेमी, कला जगत के लोग तथा मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
- मुख्य आयोजक स्वतंत्र संगीत संस्थान और सांस्कृतिक मंत्रालय के सहयोग से इस कार्यक्रम को सफल बनाया गया।
आधिकारिक बयान और आयोजन विवरण
सांस्कृतिक मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से इस आयोजन की सूचना दी और कहा कि यह समारोह भारतीय संगीत और संस्कृति को समृद्ध करने वाले भूपेन हजारीका की विरासत को उजागर करता है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि आगामी वर्षों में इस तरह के और भी आयोजन किए जाएंगे ताकि नई पीढ़ी उनके योगदान से परिचित हो सके।
तत्काल प्रभाव
- भारतीय संगीत के प्रति लोगों की संवेदनशीलता और सांस्कृतिक जागरूकता में वृद्धि।
- संगीत प्रेमियों को नई ऊर्जा और प्रेरणा मिली।
- कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला।
- भूपेन हजारीका की संगीत रचनाओं की बाजार में मांग बढ़ी, जिससे संगीत उद्योग को लाभ हुआ।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने इस आयोजन को सराहा और इसे संगीत और कला के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम कहा। विपक्षी दलों ने भी इसे सांस्कृतिक स्मृति के रूप में स्वीकार किया। विशेषज्ञों ने भूपेन हजारीका की संगीत विरासत को युवाओं तक पहुंचाने के इस प्रयास की प्रशंसा की। आम जनता और संगीत प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम को यादगार बताया।
आगे क्या?
सांस्कृतिक मंत्रालय ने आगामी महीनों में अन्य प्रमुख राज्यों में भूपेन हजारीका की शताब्दी समारोह के अंतर्गत सांगीतिक और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। साथ ही, उनकी जीवनी और कृतियों पर विशेष प्रकाश डाला जाएगा।
भारतीय सांस्कृतिक विरासत में भूपेन हजारीका का योगदान अमूल्य माना जाता है। संगीत के माध्यम से उनकी यादों को जीवित रखना युवाओं को हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है।
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