जयपुर में न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि आम जनता नशे को केवल एक खराब आदत समझती है, जबकि यह एक ऐसी जटिल स्थिति है जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करती है।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने स्पष्ट किया कि भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य केवल दंडात्मक कार्रवाई नहीं है, बल्कि सुधारात्मक न्याय पर भी खासतौर पर जोर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली का मकसद समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है और दोषियों को सुधार कर पुनः समाज में समायोजित करना है।
सुधारात्मक न्याय प्रणाली के प्रमुख पहलू
- अपराधियों का पुनर्वास और समाज में समायोजन।
- व्यक्तित्व और व्यवहार में सुधार के प्रयास।
- दंडात्मक से अधिक सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाना।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत के विचार वर्तमान न्याय व्यवस्था और समाज की सोच में सुधार की जरूरत पर प्रकाश डालते हैं। यह दृष्टिकोण न्याय क्षेत्र में आवश्यक सुधार हेतु प्रोत्साहन का काम करेगा।
निष्कर्षतः, भारतीय समाज के लिए यह संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अपराध को केवल दंड से खत्म करने की बजाय सुधार के माध्यम से समाप्त किया जाना चाहिए, ताकि अपराधियों को पुनः एक जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सके।
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