दिल्ली में भारत की ऊर्जा संक्रमण की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी गति से आगे बढ़ रही है। इस लक्षण के पीछे मुख्य रूप से जमीन की उपलब्धता, वित्त पोषण की कमी और जटिल नियम एवं शर्तें बड़ी बाधा के रूप में सामने आ रही हैं।
यह स्थिति न केवल परियोजनाओं की शुरुआत में देरी करती है बल्कि समग्र ऊर्जा संक्रमण की प्रगति को भी प्रभावित करती है। यदि इन बाधाओं को दूर किया जाए, तो भारत की ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से बदलाव और स्थिरता लाई जा सकती है।
प्रमुख बाधाएं
- जमीन की समस्या: नई ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आवश्यक उपयुक्त और सुरक्षित जमीन की उपलब्धता कम होना।
- फंडिंग की कमी: ऊर्जा संक्रमण परियोजनाओं के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों की अपर्याप्तता।
- नियम और शर्तें: परियोजनाओं को मंजूरी देने के नियमों की जटिलता और उनकी पारदर्शिता की कमी।
सुझाव और संभावित समाधान
- सरकार द्वारा भूमि आवंटन प्रक्रिया को सरल और तेज बनाना।
- निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय इंसेंटिव प्रदान करना।
- नियमों को अधिक लचीला और समझने में आसान बनाना ताकि परियोजनाओं की मंजूरी जल्दी मिल सके।
यदि इन सुधारों को प्रभावी रूप से लागू किया जाए, तो भारत की ऊर्जा संक्रमण प्रक्रिया में उल्लेखनीय तेजी लाई जा सकती है, जो देश के स्थायी विकास और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करेगी।
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