नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने आपातकाल लागू होने के 50 वर्ष पूर्ण होने पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में उन सभी व्यक्तियों के बलिदान को सम्मानित और याद करने का निर्णय लिया गया है, जिन्होंने उस कठिन समय में आपातकाल के विरोध में जोरदार आवाज उठाई थी।
मुख्य निर्णय और पहल
- कैबिनेट ने इस अवसर को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में चिन्हित किया है।
- यह दिन देशवासियों को उस दौर की गंभीरता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हुए संघर्ष की याद दिलाने का माध्यम बनेगा।
- प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रस्ताव को संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का संदेश देने वाला बताया।
- यह निर्णय उन वीर व्यक्तियों को सम्मानित करने का प्रयास है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।
आयोजन और जागरूकता
इस निर्णय के तहत विभिन्न कार्यक्रम और स्मारक आयोजन किए जाएंगे। इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को इस ऐतिहासिक घटना की गहरी समझ प्रदान करना और लोकतंत्र के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
यह पहल देश में लोकतंत्र के महत्व को पुनः स्थापित करने और संविधान की रक्षा के लिए निरंतर सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर देती है।
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