तिरुमूर्ति ने दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत-चीन संबंधों में एक बड़ा बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि चीन के दो रूप इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
तिरुमूर्ति ने यह समझाया कि चीन का एक रूप है जो विकास और सहयोग की ओर बढ़ रहा है, जबकि दूसरा रूप अधिक आक्रामक और विस्तारवादी नीतियों पर आधारित है। इस द्वैत ने भारत-चीन रिश्ता जटिल बना दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक और कूटनीतिक संवाद आवश्यक हो गया है।
तिरुमूर्ति की बातें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित थीं:
- चीन की विकासशील और सहयोगी नीति का भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान।
- चीन का आक्रामक रवैया और सीमावर्ती विवादों में उसका द्वैत स्वरूप।
- भारत को इन दोनों रूपों को समझते हुए संतुलित और दूरदर्शी नीति अपनाने की आवश्यकता।
- दोनों देशों के बीच संवाद और वार्ता के माध्यम से तनावों को कम करना।
तिरुमूर्ति के अनुसार, भारत को चाहिए कि वह चीन की दोनों पहचानों को समझकर अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करे, साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभाए।
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