भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है ताकि हिंदी भाषा के महत्व और उसकी सांस्कृतिक एकता में भूमिका को बढ़ावा दिया जा सके। 1949 में इसी दिन हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था। इस अवसर पर देशभर के नेता और संगठन भाषा की एकता और विकास में इसकी भूमिका पर विशेष जोर देते हैं।
हिंदी दिवस की मुख्य बातें
- मौका: हिंदी भाषा के महत्व को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक विविधता में इसकी भूमिका को समझना।
- भागीदार: केंद्र और राज्य सरकारें, भाषा विभाग, सांस्कृतिक संगठन, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, शैक्षणिक संस्थान और साहित्यिक संगठन।
- सरकारी दृष्टिकोण: हिंदी को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में महत्वपूर्ण बताया गया।
- आँकड़े: देश में लगभग 41 प्रतिशत जनसंख्या हिंदी बोलती है, और हिंदी साहित्यिक प्रकाशनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
- प्रभाव: सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थाओं में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा मिला।
आधिकारिक बयान और प्रतिक्रियाएँ
केंद्र सरकार की प्रेस रिलीज़ में हिंदी को भारत की राष्ट्रीय एकता की चिट्ठी कहा गया है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट में बताया कि हिंदी भाषा सिर्फ भाषा नहीं बल्कि संस्कृति और सभ्यता का परिचायक है। विपक्षी दलों ने भी हिंदी की सांस्कृतिक भूमिका को स्वीकार किया है। भाषा विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीक और शिक्षा में हिंदी की भूमिका बढ़ाने पर बल दिया है।
भविष्य की योजना
- हिंदी भाषा को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अधिक विस्तारित करना।
- शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में हिंदी का समावेशन बढ़ाना।
- क्षेत्रीय भाषाओं के साथ सहयोग संवर्द्धन पर ध्यान देना।
- हिंदी दिवस के आगामी कार्यक्रमों की तैयारी करना।
हिंदी भाषा का प्रचार और संरक्षण देश की एकता और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
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