नई दिल्ली – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए GDP वृद्धि दर को 6.5% पर स्थिर रखते हुए, देश की आर्थिक प्रगति के लिए आशावादी रुख बनाए रखा है। यह निर्णय भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद लिया गया है, जो वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्था दोनों पर प्रभाव डाल सकता है।
RBI की इस नीति निर्णय से स्पष्ट होता है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक चुनौतियों के बावजुद आर्थिक विकास को प्रभावित होने नहीं देना चाहता। सरकार और RBI की यह प्रयास है कि देश की विकास गति स्थिर बनी रहे और निवेश तथा रोजगार के अवसर बढ़ें।
GDP वृद्धि दर को बरकरार रखने के प्रमुख कारण
- भू-राजनीतिक तनाव: वैश्विक स्तर पर बढ़ते तनाव से तटस्थ रहते हुए, RBI ने आर्थिक विकास की आधारभूत नींव को मजबूत देखा है।
- आंतरिक आर्थिक संकेतक: घरेलू बाजार में मांग और निवेश की स्थिति ने RBI को विकास दर को बनाए रखने का विश्वास दिया।
- मौद्रिक नीति: RBI की अनुकूल मौद्रिक नीति ने आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने में मदद की है।
आगे का मार्ग
विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में यह स्थिर वृद्धि दर एक सकारात्मक संकेत है। सरकार और RBI को भारत की आर्थिक विकास यात्रा को जोखिमों से बचाते हुए आगे बढ़ावा देना होगा।
इस प्रकार, RBI की यह घोषणा यह दर्शाती है कि भारत की आर्थिक वृद्धि में स्थिरता बनी रह सकती है, भले ही अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में अस्थिरता हो।
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