जून महीने में भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में लगभग 10% की गिरावट देखी गई है। यह पिछली अवधि के मुकाबले एक महत्वपूर्ण कमी है। इस कमी के पीछे विभिन्न आर्थिक और वैश्विक कारक जिम्मेदार माने जा रहे हैं जो पेट्रोलियम बाजार को प्रभावित कर रहे हैं।
हालांकि, मांग के अन्य क्षेत्रों में वृद्धि देखने को मिली है। इस बीच, घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग के साथ-साथ कुछ विशेष अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में मांग में बढ़ोतरी हुई है।
पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में गिरावट के कारण
- वैश्विक ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव
- कुछ देशों द्वारा आयात पर प्रतिबंध या शुल्क वृद्धि
- देश के भीतर उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता
- प्रतिस्पर्धी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की हिस्सेदारी में कमी
मांग में वृद्धि वाले क्षेत्र
- घरेलू उपभोग: भारत में वाहन और औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि के कारण घरेलू स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ी है।
- पड़ोसी देश: नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में सुधार हुआ है।
- नई बाजार: कुछ अफ्रीकी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने भी भारत से इन उत्पादों की मांग बढ़ाई है।
सरकार और उद्योग विशेषज्ञ इस स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं ताकि निर्यात में वृद्धि संभव हो सके और घरेलू आपूर्ति भी संतुलित बनी रहे। आगामी महीनों में नई नीति और रणनीतियों के जरिए इस गिरावट को कम करने का प्रयास किया जाएगा।
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