नई दिल्ली में यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है, यद्यपि इसमें सीधे शब्दों में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं लिखा गया है। संविधान के अनुच्छेद और धाराएं यह सुनिश्चित करती हैं कि सभी नागरिकों को धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष विशेषताएं:
- संविधान देश में सभी धर्मों की समान स्वीकार्यता और सुरक्षा प्रदान करता है।
- धार्मिक स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार के रूप में संरक्षित किया गया है।
- राज्य किसी भी धर्म को विशेष समर्थन या अनुकरण नहीं करता।
इस प्रकार, हालांकि शब्द ‘धर्मनिरपेक्ष’ सीधे तौर पर संविधान में घोषित नहीं है, परन्तु संविधान की मूल भावना और प्रावधान स्पष्ट रूप से इस सिद्धांत को सुदृढ़ करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि भारत एक ऐसा देश हो जहां विविध धर्मों के लोग समान रूप से स्वतंत्र और सम्मानित महसूस करें।
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