नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की महासभा (UNGA) में अफगानिस्तान की स्थिति पर मतदान में भारत ने गुरुवार को सहमति देने से परहेज किया। यह प्रस्ताव तालिबान की दमनकारी नीतियों को लेकर था।
इस प्रस्ताव को कुल 116 देशों ने समर्थन दिया, जबकि 12 देशों ने मतदान से दूर रहने का निर्णय लिया और 2 देशों ने इसका विरोध किया। भारत ने ‘व्यवसाय जैसा सामान्य’ रणनीति को अब प्रभावी नहीं मानते हुए इस वोट में हिस्सा नहीं लिया।
भारत सरकार का कहना है कि तालिबान के साथ एक नई रणनीति की आवश्यकता है जो क्षेत्रीय स्थिरता और मानवाधिकारों को ध्यान में रखे। भारत लगातार अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए कूटनीतिक प्रयास करता रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की यह स्थिति क्षेत्रीय राजनीति में एक नई सोच को दर्शाती है। भारत की यह नीतिगत चाल अफगानिस्तान में वर्तमान हालात को लेकर उसकी गंभीरता को भी प्रदर्शित करती है।
इस फैसले का अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी गहरा प्रभाव पड़ा है। अधिक जानकारी के लिए बने रहें।
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