भारत में स्वास्थ्य संकट की एक नई और छुपी हुई समस्या सामने आ रही है, जिसे विशेषज्ञों ने ‘नमक महामारी’ का नाम दिया है। हाल ही में ICMR-NIE यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपीडेमियोलॉजी ने इस गंभीर स्थिति के बढ़ते प्रभाव के बारे में चेतावनी जारी की है।
नमक की अधिकता और स्वास्थ्य पर प्रभाव
भारत में भोजन में नमक की मात्रा लगभग सभी वर्गों में WHO द्वारा सुझाए गए स्तर से काफी अधिक पाई जाती है। उच्च नमक का सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है, जैसे:
- हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन)
- हृदय रोग
- स्ट्रोक
- किडनी की समस्याएं
आंकड़ों के अनुसार, भारतीय आबादी में रक्तचाप की बढ़ती समस्याएं और उससे जुड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं में नमक की अधिकता की भूमिका महत्वपूर्ण है।
ICMR-NIE की चेतावनी
ICMR-NIE ने अपने अध्ययन में पाया है कि यदि नमक सेवन को नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य संकट और भी गंभीर हो सकता है। उन्होंने विशेष रूप से निम्न बिंदुओं पर जोर दिया है:
- सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत
- नमक की खपत पर नियंत्रण के लिए नीतिगत कदम उठाना
- स्वास्थ्य सेवाओं में हृदय रोगों और ब्लड प्रेशर की रोकथाम पर अधिक ध्यान देना
समाधान के रास्ते
स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि ‘नमक महामारी’ से निपटने के लिए हमें निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:
- खाद्य पदार्थों में छुपे नमक का स्तर कम करना
- स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से लोगों को इसके दुष्परिणामों से अवगत कराना
- नमक के विकल्पों का प्रयोग और संतुलित आहार अपनाना
- नियमित स्वास्थ्य जांच, विशेषकर रक्तचाप की जांच कराना
निष्कर्षतः, भारत में ‘नमक महामारी’ एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, जिसके प्रभाव से बचने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाना आवश्यक है। ICMR-NIE की चेतावनी पर सभी को ध्यान देना होगा ताकि देश में व्यापक स्वास्थ्य संकट को रोका जा सके।
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