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भारतीय संसद ने हाल ही में अपनी कार्यप्रणाली में डिजिटल तकनीकों के व्यापक उपयोग के लिए नई डिजिटल नीति अपनाई है, जो लोकतंत्र में तकनीकी क्रांति की शुरुआत मानी जा रही है। यह नीति पारदर्शिता, जवाबदेही, और जनसहभागिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकारी प्रक्रियाओं को अधिक सुगम और प्रभावी बनाएगी।
पृष्ठभूमि
डिजिटल इंडिया अभियान के अनुरूप भारतीय सरकार ने शासन तंत्र को डिजिटल रूप में सुदृढ़ बनाने के लिए कई पहल की हैं। भारतीय संसद ने पारंपरिक कागजी दस्तावेज़ और शारीरिक उपस्थिति पर निर्भर कार्यप्रणाली को बदलते हुए डिजिटल संसाधनों के उपयोग को अपनाना शुरू किया है। यह बदलाव संसद की बैठकों को अधिक पारदर्शी, सुलभ और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगा।
मुख्य पक्षकार
यह महत्त्वपूर्ण पहल निम्नलिखित मुख्य पक्षकारों के सहयोग से संचालित हो रही है:
- केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी विभाग
- संसद सचिवालय
- डिजिटल इंडिया मंत्रालय
- तेक्नोलॉजी प्रदाता और सूचना सुरक्षा विशेषज्ञ
- सांसद, सचिवालय कर्मचारी तथा आम जनता
राष्ट्रीय असर
नई डिजिटल नीति के प्रभाव से संसदीय कार्यप्रणाली में निम्नलिखित सुधार होंगे:
- कार्यप्रणाली की तेजी और प्रभावशीलता में वृद्धि।
- डिजिटल दस्तावेजों के माध्यम से विधायिका की पहुँच जनता तक और अधिक सुलभ बनेगी।
- पारदर्शिता बढ़ेगी और नागरिकों के लिए सरकारी प्रक्रियाओं की समझ सुधरेगी।
- पर्यावरण संरक्षण में सुधार होगा क्योंकि कागज के उपयोग में कमी आएगी।
- डेटा संग्रहण और विश्लेषण अधिक आसान हो जाएगा, जिससे नीति-निर्माण तर्कसंगत होगा।
विशेषज्ञों की राय
सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों ने नई डिजिटल नीति को लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक कदम बताया है। वे मानते हैं कि डिजिटल संसाधनों का सही उपयोग लोकतंत्र को और अधिक जन-केंद्रित और जवाबदेह बनाएगा। हालांकि, साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता के मामले में चुनौतीपूर्ण प्रश्न भी हैं, जिन्हें प्रभावी प्रोटोकॉल के साथ संबोधित करना आवश्यक है।
आगे का रास्ता
सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने की सलाह दी गई है ताकि डिजिटल नीति का सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके:
- संसदीय सदस्यों और कर्मचारियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना।
- साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत बनाना ताकि संवेदनशील जानकारियाँ सुरक्षित रहें।
- तकनीकी अवसंरचना को नवीनतम बनाना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल संसाधनों की पहुँच सुनिश्चित करना ताकि डिजिटल समावेशन बढ़े।
भविष्य में यह नीति अन्य सरकारी विभागों में भी फैल कर सम्पूर्ण सरकारी तंत्र को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और आधुनिक बनाएगी।
अतः यह डिजिटल पहल भारतीय लोकतंत्र को अधिक जनोपयोगी, सुलभ और सामयिक बनाते हुए देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को नई दिशा प्रदान करेगी। संवैधानिक संस्थाओं में तकनीकी नवाचार लोकतंत्र को और अधिक प्रभावी बनाने का अवसर प्रस्तुत करते हैं।
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