रूस में हिंदी भाषा के प्रति बढ़ती रुचि ने एक नई दिशा ली है, जो पिछले तीन दशकों में देखी गई प्रवृत्तियों से अलग है। इस बदलाव के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें सांस्कृतिक, शैक्षिक, और आर्थिक तत्व शामिल हैं।
रूसी युवाओं में हिंदी के प्रति आकर्षण
रूस के युवा वर्ग में हिंदी सीखने और समझने की इच्छा बढ़ रही है। यह रूसी-भारतीय संबंधों के मजबूत होने और भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रभाव के कारण संभव हुआ है।
शैक्षिक और सांस्कृतिक पहल
- विश्वविद्यालयों में हिंदी संबंधी कोर्सेस: कई रूसी विश्वविद्यालयों ने हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम शामिल किए हैं, जिससे छात्रों को भाषा और साहित्य में रुचि मिली है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: विभिन्न सांस्कृतिक मेलों और फिल्म फेस्टिवल ने भी हिंदी भाषा को लोकप्रिय बनाने में मदद की है।
आर्थिक और कूटनीतिक कारक
भारत और रूस के बीच बढ़ते व्यापार और सामरिक संबंधों ने हिंदी भाषा की भूमिका को मजबूत किया है। व्यापार और कूटनीति में भाषा की समझ से संवाद आसान हुआ है।
निष्कर्ष
तीन दशकों के बाद रूस में हिंदी सीखने और अपनाने की यह प्रवृत्ति न केवल भाषाई बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी नए अध्याय की शुरुआत करती है। यह संबंध दोनों देशों के आपसी समझ और सहयोग को और अधिक प्रगाढ़ बनाएगा।
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