रूस में तीन दशक बाद हिंदी भाषा को लेकर बढ़ती रुचि से यह स्पष्ट होता है कि भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक रिश्ता पुनः सशक्त हो रहा है।
हिंदी भाषा में बढ़ती रुचि के कारण
1990 के दशक में सोवियत संघ की समाप्ति के बाद हिंदी की लोकप्रियता में कमी आई थी, लेकिन वर्तमान में भारत की आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति ने रूस के छात्र समुदाय में इसे पुनः आकर्षक बना दिया है। डिजिटल, सांस्कृतिक और व्यापारिक साझेदारियाँ इस रुचि को और बढ़ावा दे रही हैं।
प्रमुख शैक्षिक संस्थान और हिंदी कक्षाएँ
मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग, और नोवोसिबिर्स्क जैसे शहरों में हिंदी भाषा के पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी और सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी जैसे विश्वविद्यालय भी हिंदी के विशेष कार्यक्रम चला रहे हैं।
सरकारी और सांस्कृतिक पहल
भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और रूस के शिक्षा विभाग के सहयोग से हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (ICCR) भी छात्रवृत्तियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदी की लोकप्रियता में योगदान दे रहा है।
प्रतिक्रियाएँ और विशेषज्ञ विचार
शिक्षाविद और भाषा विशेषज्ञ मानते हैं कि हिंदी की यह नई लोकप्रियता सांस्कृतिक समझ और आर्थिक सहयोग को और मजबूत करेगी। रूसी छात्र हिंदी सीखकर भारत की संस्कृति को गहराई से समझ पा रहे हैं, जिससे उन्हें नए करियर अवसर मिल रहे हैं।
आगे की संभावनाएँ
भविष्य में रूस में हिंदी पढ़ाने की संभावना और विकसित होने की उम्मीद है, जो दोनों देशों के शिक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ करेगा।
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