यूके की नवीनतम रक्षा समीक्षा ने भारत की वैश्विक मंच पर विकसित होती भूमिका और हिंद महासागर क्षेत्र की महत्वपूर्ण स्थिति को स्वीकार किया है। फरवरी 2025 में घोषित यूके-भारत रक्षा साझेदारी को द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण चरण के रूप में देखा जा रहा है।
यूके-भारत रक्षा साझेदारी के मुख्य बिंदु
- उन्नत हवाई रक्षा हथियारों पर मुख्य ध्यान, जो दोनों देशों के रणनीतिक हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- तकनीकी नवाचारों और सामरिक पहलुओं में सहयोग को बढ़ावा।
- क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को मजबूत बनाना।
- यूरोपीय और एशियाई सुरक्षा परंपराओं के बीच समन्वय का अवसर।
प्रधान मंत्री कीर स्टारमर का दृष्टिकोण
प्रधान मंत्री कीर स्टारमर ने इस साझेदारी को दोनों देशों के बीच मजबूत सहयोग की दिशा में एक नया अध्याय बताया है और इसे भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों के लिए अहम कदम माना है।
रणनीतिक महत्व
यूके की रक्षा समीक्षा भारत को एक स्थिर और भरोसेमंद वैश्विक भागीदार के रूप में पहचानती है, विशेषकर हिंद महासागर की सुरक्षा और विकास में। दोनों पक्षों ने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में इस साझा प्रयास को अपनी रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में स्वीकार किया है।
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