नई दिल्ली, 20 अप्रैल 2024: संसद के मानसून सत्र में आज डेटा संरक्षण विधेयक 2024 को लोकसभा में बहुमत से पारित किया गया। यह विधेयक भारत के डिजिटल क्षेत्र में निजता और डेटा सुरक्षा को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
घटना क्या है?
डेटा संरक्षण विधेयक 2024 की पारित होने वाली यह घटना देश के लिए एक नया अध्याय खोलती है। इस विधेयक का उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और उनके डिजिटल अधिकारों को मजबूती प्रदान करना है। यह विधेयक पिछले कई वर्षों से चर्चा में था और आज सबसे प्रमुख विषयों में से एक रहा।
कौन-कौन जुड़े?
इस विधेयक के प्रस्तावक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय है। लोकसभा में इसे केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने पेश किया। विपक्षी दलों, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, तकनीकी विशेषज्ञ और नागरिक समाज संगठन इस विधेयक में सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े हैं। विधेयक पर संसद में लगभग चार दिन की विस्तृत चर्चा हुई।
आधिकारिक बयान एवं दस्तावेज़
सुश्री किरण रेड्डी, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, ने बताया कि यह विधेयक नागरिकों को डिजिटल उम्र में अपने डेटा पर नियंत्रण प्रदान करता है। संसदीय कार्यवाही की रिपोर्ट में उल्लेख है कि विधेयक के माध्यम से व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित करने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं, साथ ही एक स्वतंत्र डेटा संरक्षण प्राधिकरण का गठन भी किया जाएगा।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- देश में गत वर्ष ऑनलाइन लेनदेन 25 प्रतिशत बढ़ा है।
- लगभग 60 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं।
इससे डेटा सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता और इस विधेयक की महत्ता दोनों स्पष्ट होती हैं।
तत्काल प्रभाव
इस विधेयक के लागू होने से निजी कंपनियों को यूजर्स का डेटा सुरक्षित रखने के लिए कड़े नियमों का पालन करना होगा। इससे डिजिटल कारोबार में पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं का विश्वास मजबूत होगा। आर्थिक बाजारों में संभावित निवेश वृद्धि की भी उम्मीद जताई जा रही है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार: इस कदम का स्वागत किया और इसे डिजिटल सुरक्षा की दिशा में अहम उपलब्धि बताया।
- विपक्ष: कुछ प्रावधानों पर चिंता जताई और वैधता के कई आयामों की समीक्षा की आवश्यकता बताई।
- विशेषज्ञ: इसे एक सकारात्मक कदम माना, लेकिन क्रियान्वयन की चुनौतियाँ बताईं।
- उद्योग जगत: नियमों के पालन के लिए तैयार रहने का संदेश दिया।
आगे क्या?
- विधेयक अब राज्यसभा में चर्चा के बाद अनुमोदन के लिए प्रस्तुत होगा।
- अधिनियम बनने की प्रक्रिया पूरी होगी और डेटा सुरक्षा प्राधिकरण का गठन होगा।
- सरकार अगले छह महीनों में सभी संबंधित पक्षों की राय लेकर फाइनल नियमावली भी जारी करेगी।
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