भारतीय लोकसभा ने डेटा संरक्षण विधेयक 2024 को पारित किया है, जो डिजिटल निजता और डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विधेयक नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग को रोकने और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 20 अप्रैल 2024 को पारित किया गया।
घटना क्या है?
इस विधेयक का उद्देश्य डिजिटल युग में नागरिकों के निजी डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह विधेयक डेटा के संग्रहण, प्रसंस्करण और उपयोग के संबंध में स्पष्ट नियम निर्धारित करता है। डेटा नियंत्रक और डेटा प्रसंस्कर्ता को कड़े दायित्व दिए गए हैं, जिससे वे जिम्मेदारीपूर्वक डेटा का संचालन कर सकें।
कौन-कौन जुड़े?
- सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विधेयक का निर्माण और प्रस्तुतीकरण किया।
- विधेयक को लोकसभा एवं राज्यसभा में गहन विचार-विमर्श के बाद पारित किया गया।
- भारत सरकार का डेटा सुरक्षा बोर्ड तथा सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ मसौदे में शामिल की गईं।
- नागरिक समाज के समूह और तकनीकी विशेषज्ञों से सुझाव लिए गए।
प्रमुख तथ्य और दस्तावेज़
सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, विधेयक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं:
- डेटा उल्लंघनों के लिए 5 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की जेल का प्रावधान।
- व्यक्तिगत डेटा के पारदर्शी उपयोग और डेटा की स्वामित्व की स्पष्ट परिभाषा।
- डेटा संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति के नियम।
पिछले तीन वर्षों में भारत में डिजिटल लेनदेन में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे डेटा सुरक्षा की आवश्यकता और महत्त्वपूर्ण हो गई है।
तत्काल प्रभाव
- नागरिकों को अपने व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।
- व्यापारिक एवं तकनीकी कंपनियों को डेटा संग्रहण और उपयोग नीति में सुधार करना होगा।
- डिजिटल लेनदेन में विश्वास बढ़ेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियाँ सशक्त होंगी।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने विधेयक को डिजिटल भारत को मजबूत करने वाला कदम बताया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि इसका असर नागरिकों के डेटा की सुरक्षा और निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने में होगा। विपक्ष ने डेटा सुरक्षा बोर्ड की स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर सुधार की मांग की है। तकनीकी विशेषज्ञों ने इसे सकारात्मक पहल माना, लेकिन निरंतर अपडेट की सलाह दी। उद्योग संगठनों ने व्यापारिक पारदर्शिता की सराहना की, साथ ही प्रशिक्षण एवं संसाधनों की आवश्यकता जताई।
आगे क्या?
- विधेयक लागू होने के छह महीनों में सरकार डेटा सुरक्षा बोर्ड का गठन करेगी।
- नियमावली भी जल्द ही जारी की जाएगी।
- विधेयक को सभी राज्य और केंद्रीय सरकारी विभागों में क्रियान्वित किया जाएगा।
- भविष्य में तकनीकी प्रगति के अनुसार संशोधन किए जा सकते हैं।
डिजिटल निजता और सुरक्षा के क्षेत्र में यह विधेयक एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा एवं नागरिकों के हितों की रक्षा करेगा।
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