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यह एक जटिल और बहुआयामी विषय है, जो व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों से जुड़ा हुआ है। विदेश में बसे भारतीयों के भारत लौटने में देरी या न लौटने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं।
मुख्य कारण
- आर्थिक स्थिरता: बहुत से भारतीय विदेशों में बेहतर वेतन, बेहतरीन करियर अवसर, और वित्तीय सुरक्षा की वजह से रहना पसंद करते हैं। यहाँ उनकी जीवनशैली अधिक आरामदायक होती है।
- शिक्षा और करियर: विदेशों में उच्च शिक्षा और करियर के अवसर बेहतर होने के कारण युवा पीढ़ी वहीं बसना पसंद करती है। यहाँ उनके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ज्यादा अवसर मिलते हैं।
- सामाजिक सुरक्षा: कई देशों में स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और बुढ़ापे के लिए बेहतरीन प्रावधान होते हैं, जो भारत में अपेक्षा से बेहतर होते हैं।
- सामाजिक वातावरण और सुरक्षा: विदेशों में सामाजिक वातावरण, कानून व्यवस्था और सुरक्षा की बेहतर स्थिति लोगों को आकर्षित करती है।
- परिवार और जीवनशैली: कई लोगों के परिवार विदेश में ही बस चुके होते हैं और वे भी भारत लौटने को प्राथमिकता नहीं देते। इसके अलावा वहाँ की जीवनशैली, सामाजिक संबंध और सुविधाएँ उन्हें मजबूती से बांधती हैं।
- विफलता का डर: भारत में अपने व्यवसाय या करियर के पुनःस्थापन का डर और अनिश्चितता भी कईयों को वापसी से रोकती है।
अनुभव से मिलने वाली सीख
अक्सर ऐसा देखा गया है कि जो लोग विदेशों में बस जाते हैं, वे भारत की तुलना में वहाँ की विशेषताओं को ज्यादा महत्व देते हैं और वापसी को कठिन मानते हैं। परिवार, सामाजिक और आर्थिक जुड़ाव विदेश में गहरा हो जाता है। साथ ही, जब तक भारत में रोजगार, बुनियादी सुविधाएँ और सामाजिक सहायता बेहतर नहीं होती, तब तक बड़ी संख्या में भारतीय विदेश में ही रहती रहेगी।
इसलिए, यह समस्या केवल व्यक्तिगत निर्णय की नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों की भी मांग करती है ताकि अधिक से अधिक भारतीय अपनी मातृभूमि की ओर लौटने के लिए प्रेरित हों।
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