सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश से लेकर पूरे हिमालयी राज्यों में पर्यावरण जांच को अनिवार्य करने का एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
फैसले के प्रमुख बिंदु
- पर्यावरण जांच का विस्तार: अब हिमाचल प्रदेश तक सीमित पर्यावरण जांच को पूरे हिमालयी क्षेत्र में बढ़ा दिया गया है।
- सख्त नियम: पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) प्रक्रिया को और अधिक कड़ाई से लागू किया जाएगा।
- पर्यावरण संरक्षण: पर्वतीय क्षेत्रों की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
- स्थानीय समुदायों की सुरक्षा: हिमालयी राज्यों के स्थानीय निवासियों के हितों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा।
निर्णय के पीछे की वजह
हिमालयी क्षेत्र में बढ़ती निर्माण गतिविधियों और पर्यावरणीय दबाव के कारण प्राकृतिक संसाधनों को भारी खतरा पैदा हो रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र के विशेष पारिस्थितिक महत्व को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है ताकि पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।
पर्यावरण जांच का महत्व
- प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा: यह जांच सुनिश्चित करती है कि संसाधनों का दोहन नियंत्रित ढंग से हो।
- पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन: किसी भी परियोजना के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्व अभिज्ञान किया जाता है।
- स्थानीय समुदायों का संरक्षण: स्थानीय लोगों की भूमि, जल स्रोत, और पारंपरिक जीवनशैली की रक्षा होती है।
- दूषण नियंत्रण: निर्माण और विकास कार्यों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जाता है।
यह फैसला हिमालयी राज्यों में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मजबूत कदम माना जा रहा है और इसके सकारात्मक प्रभाव लंबी अवधि में महसूस किए जाएंगे।
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