सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए हाल में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियमों को लागू करने पर केंद्रित हैं। ये दिशा-निर्देश देशभर में पर्यावरणीय सुधार और सतत् विकास के लिए एक मील का पत्थर माने जा रहे हैं। अप्रैल 2024 की सुनवाई के दौरान यह फैसला लिया गया, जिसमें पर्यावरण सुरक्षा को एक संवैधानिक दायित्व बताया गया।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रदूषण नियंत्रण के सख्त कदम उठाने और उद्योगों के लिए कड़ाई से प्रदूषण मानक निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। यह निर्णय हवा, जल और मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु कानूनी रूप में बाध्यकारी होगा।
कौन-कौन जुड़े?
- सुप्रीम कोर्ट
- केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- राज्य सरकारें
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB)
- विभिन्न सामाजिक एवं पर्यावरण संगठन
सभी संबंधित पक्षों को पर्यावरण संरक्षण में बेहतर समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट का आदेश उद्यमों के प्रदूषण मानकों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का निर्देश देता है। केंद्र सरकार ने संसद में इस निर्णय का स्वागत करते हुए पर्यावरण नियमों को और प्रभावी बनाने का आश्वासन दिया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन के लिए बजट में 15% वृद्धि की घोषणा की है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- पिछले पांच वर्षों में वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य बीमारियों में 20% की वृद्धि हुई है।
- 40% औद्योगिक इकाइयाँ पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।
- नए आदेश के बाद प्रदूषण स्तर में 10% तक की गिरावट देखी गई है।
तत्काल प्रभाव
उद्योगों को उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव के लिए भारी निवेश करना पड़ सकता है। आम जनता को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिलने की संभावना बढ़ेगी। साथ ही पर्यावरण संबंधी उत्पादों और सेवाओं की मांग में भी वृद्धि होगी।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने निर्णय का स्वागत किया है और पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया है।
- विपक्ष ने उद्योगों के हितों का भी ध्यान रखने की आवश्यकता जताई है।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे सतत विकास के लिए आवश्यक कदम बताया है।
- जनता की प्रतिक्रिया मिली-जुली है; कुछ लोग इसे ऐतिहासिक बताते हैं जबकि कुछ लागू करने की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने छह महीनों के भीतर दिशा-निर्देशों के प्रभाव की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। केंद्र सरकार ने पर्यावरण सुधार योजनाओं का विस्तार और संबंधित एजेंसियों को सशक्त बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आगामी समीक्षा में आगे की कार्यवाही निश्चित की जाएगी।
ज़्यादा कहानियां
राबड़ी देवी का बड़ा बयान: नीतीश कुमार के बेटे को बनाएं बिहार का सीएम
राबड़ी देवी का बड़ा बयान: नीतीश कुमार को बेटे को बनाना चाहिए मुख्यमंत्री
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण पर लिया अहम निर्णय