सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो पूरे देश के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा। इस फैसले को अप्रैल 2024 में दिल्ली में दिया गया, जिसके तहत औद्योगिक प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने का निर्देश जारी किया गया। यह निर्णय सरकार और उद्योगों दोनों के लिए एक स्पष्ट संदेश है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए नए नियम लागू करने का निर्देश दिया है, जिनमें शामिल हैं:
- औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण
- वन क्षेत्रों की सुरक्षा
- जल स्रोतों के संरक्षण के उपाय
साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assessment – EIA) प्रक्रिया को और सख्त बनाने का निर्णय लिया गया है। यह कदम भारत के पर्यावरण संरक्षण कानूनों को मजबूत करेगा।
कौन-कौन जुड़े?
इस फैसले में मुख्य पक्ष निम्नलिखित हैं:
- सुप्रीम कोर्ट
- केन्द्र सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- विभिन्न राज्य सरकारें
- विकासशील और औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख संगठन
- पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली नागरिक समाज की संस्थाएं
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमित रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
पर्यावरण मंत्रालय ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया है:
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
- 2024-25 के लिए पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित बजट में 15% वृद्धि की गई है।
- प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए उद्योगों को अनुदान प्रदान किया जाएगा।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को और सशक्त बनाया जाएगा।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार:
- पिछले पांच वर्षों में औद्योगिक प्रदूषण में 10% की वृद्धि हुई है।
- जल और वायु गुणवत्ता प्रभावित हुई है।
- प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के लिए 25,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
- जंगलों की कटाई पर निगरानी में 30% की वृद्धि की जाएगी।
तत्काल प्रभाव
इस फैसले के प्रभाव के अंतर्गत:
- औद्योगिक क्षेत्रों में कड़े प्रदूषण नियंत्रण नियम लागू होंगे।
- नागरिकों को स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त होगा, जिससे स्वास्थ्य बीमारियों में कमी आएगी।
- पर्यावरण-जनित बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं में कमी की उम्मीद है।
- प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों के उपयोग से उद्योगों में शुरुआती लागत बढ़ सकती है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ होगा।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने फैसले का स्वागत किया है और इसे बड़ा कदम बताया है।
- विपक्ष के कुछ नेता आर्थिक चिंताएँ व्यक्त कर रहे हैं।
- विशेषज्ञों ने इसे पर्यावरणीय न्याय में सकारात्मक परिवर्तन करार दिया है।
- उद्योग संगठनों ने नियमों के पालन का आश्वासन दिया है लेकिन वित्तीय सहायता की उम्मीद जताई है।
- जनता में उत्साहप्रद प्रतिक्रिया देखी गई है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित विभागों को छह माह में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगले मॉनसून सत्र में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नए विधेयकों पर चर्चा प्रस्तावित है। नागरिक जागरूकता और निरंतर निगरानी को भी प्रमुखता दी जाएगी।
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