पाकिस्तान की सेना ने जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि देकर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत दिया है। यह पद पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में अत्यंत दुर्लभ है, और इससे पहले केवल जनरल मोहम्मद अयूब खान को 1959 में यह सम्मान प्राप्त हुआ था। आसिम मुनीर की यह पदोन्नति शहबाज शरीफ की सरकार की मंजूरी से हुई है, जो 2027 तक उन्हें सेना प्रमुख के रूप में बनाए रखने का संकेत देती है।
यह कदम ऑपरेशन सिंदूर के बाद उठाया गया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के कई आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया था। इसके बाद पाकिस्तान की सेना ने सिविल सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए मुनीर को फील्ड मार्शल पद प्रदान किया। यह पदोन्नति केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि पाकिस्तान में सैन्य सत्ता के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाती है।
फील्ड मार्शल की उपाधि आम तौर पर युद्धकाल में असाधारण नेतृत्व के लिए दी जाती है, लेकिन आसिम मुनीर की रैंक को कई विशेषज्ञ केवल एक दिखावे के तौर पर भी देख रहे हैं। इससे पहले अयूब खान ने इसी पद का उपयोग तख्तापलट के बाद सत्ता मजबूत करने के लिए किया था।
आसिम मुनीर का सैन्य करियर विवादों से भरा रहा है, और उनकी यह नई पदवी पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य गतिशीलता में एक बड़े बदलाव का संकेत हो सकती है।
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